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ग्रोवर दंपति की फाइल फोटो
– फोटो : अमर उजाला
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आगरा के खंदारी के हनुमान चौराहा स्थित कोठी में लेदर कारोबारी अवनीश कुमार ग्रोवर और उनकी पत्नी ऊषा रानी की हत्या का राज 7 साल बाद भी नहीं खुल सका है। कारोबारी के घर पर ताला लगा हुआ है। केस की फाइल पर धूल जमा हो चुकी है। पुलिस फाइनल रिपोर्ट लगा चुकी है। आठ विवेचक बदले और 6 एसएसपी, लेकिन हत्याकांड से जुड़े कई सवाल अब भी अनसुलझे ही हैं।
घटना 15 नवंबर 2015 की रात की है। शहर के पाश इलाकों में से एक खंदारी स्थित हनुमान चौराहा निवासी लेदर कारोबारी अवनीश ग्रोवर और उनकी पत्नी ऊषा रानी घर में अकेले थे। उनका इकलौता बेटा गिरीश तीन दिन पहले ही बहन से मिलने परिवार सहित दिल्ली गए थे। अवनीश और ऊषा रानी की लाश घर के गैराज में मिली थी। उन्हें गेट के पास कुदाल से सिर कुचलकर मारा गया था। उनके मुंह और पैर एक टेप से बांधे गए थे। इसके बाद गैराज में फेंका गया था। हत्या के बाद व्यापारियों ने प्रदर्शन किया था। घटना के जल्द खुलासे की मांग की थी। पुलिस ने परिवार के करीबियों से लेकर रिश्तेदारों से पूछताछ की। मगर, उसका कोई नतीजा नहीं निकल सका। बेटे ने कोठी को छोड़ दिया। अब वो कहीं और रह रहे हैं। उनका पुलिस से विश्वास उठ गया है।
करते रहे विवेचना, सवालों से नहीं उठ सका पर्दा
जिस समय घटना हुई, उस समय थाना हरीपर्वत के प्रभारी शैलेश सिंह थे। उन्होंने केस की विवेचना की। मगर, उनका तबादला हो गया। उनके बाद निरीक्षक हरिमोहन सिंह आए। फिर राजा सिंह, धर्मेंद्र चौहान, जयकरण सिंह, महेश चंद गौतम, प्रवीन कुमार मान, अजय कौशल विवेचक बने। घटना के समय एसएसपी के रूप में डॉ. प्रीतिंदर सिंह थे। उनके बाद दिनेश चंद दुबे, अमित पाठक, जोगेंद्र कुमार, बबलू कुमार, मुनिराज जी भी आए। अधिकारियों ने केस की फाइल फिर से खुलवाई, लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं रहा। फरवरी 2017 में पहली बार फाइनल रिपोर्ट लगी। बाद में पांच बार विवेचक ने फाइनल रिपोर्ट का समर्थन करते हुए रिपोर्ट पेश कर दी।
नहीं मिले जवाब
1- दंपती के पैर और मुंह को एक विशेष टेप से बांधा गया था। यह टेप शू एक्सपोर्ट यूनिट में प्रयोग में लाया जाता था। यह नहीं पता चल सका कि टेप कहां से आया।
2- ऊषा रानी का मोबाइल गायब था। इसका सिम नाला बुढ़ान सैय्यद के एक किशोर को मिला था। उसने मोबाइल में लगाया था। पुलिस की पूछताछ में उसने यही बताया कि यह नाले के पास मिला था। इसलिए मोबाइल में लगा लिया। इससे ज्यादा कोई जानकारी नहीं लग सकी।
3- हत्या में खानाबदोश गैंग पर शक जताया गया। इसके लिए टीम भरतपुर के चिकसाना भी गई। घटना के तरीके को दूसरे बदमाशों से मिलान कराया गया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका।
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