[ad_1]
पुलिस की पूछताछ में पता चला कि छात्रों से दलाल संपर्क करते थे। एमबीबीएस के एक विषय में पास होने के लिए 1.20-1.50 लाख रुपये लिए जाते थे। विश्वविद्यालय के कर्मचारी खाली कॉपी लाने से लेकर बदलवाने का काम करते थे। बीएएमएस के एक विषय की कॉपी के लिए 60-70 हजार रुपये लिए जाते थे।
कर्मचारियों को मिलता था हिस्सा
पुलिस की पूछताछ में पता चला कि पूर्व में जेल गए देवेंद्र को एक छात्र की कॉपी बदलवाने के लिए 25 हजार रुपये दिए जाते थे। वह संबंधित छात्र की हर विषय की कॉपी बदलवाने का काम करता था। छलेसर स्थित एजेंसी का भीकम सिंह और विश्वविद्यालय के मूल्यांकन केंद्र का उमेश कॉपियों को बदलवाने का काम करते थे। एमबीबीएस की कॉपी के लिए उन्हें पांच हजार रुपये तक और बीएएमएस की कॉपियों के लिए एक हजार रुपये तक मिलते थे। फार्मेसी विभाग का शैलेंद्र खाली कॉपी देने के 500 रुपये प्रति कॉपी लेता था।
ऐसे चलता है खेल
पुलिस ने बताया कि मुख्य आरोपियों के पास केंद्र से लिया गया बंडल पहुंचता था। वह छात्रों की कॉपियां निकालते और कॉपी का नंबर स्कैन करते थे। अनुक्रमांक लिखा आगे का पेपर हटा देते थे। नई कॉपी में उत्तर लिखवाने के बाद कॉपी पर नंबर डाला था। पूर्व में निकाले गए पेपर को लगा दिया जाता था। इसके लिए सिलाई मशीन का इस्तेमाल करते थे।
10 आरोपी और रडार पर
पुलिस का कहना है कि कॉपियों के बंडल देर से पहुंचते थे। विश्वविद्यालय में इसका हिसाब-किताब रखा जाता है। किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। यह लापरवाही से हुआ या मिलीभगत से, जांच की जा रही है। विश्वविद्यालय से जुड़े 10 और लोग रडार पर हैं।
[ad_2]
Source link