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टीटीजेड में प्रतिबंध के बाद जलाया जाता है कूड़ा
– फोटो : अमर उजाला
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हवा में जहर यूं ही नहीं घुल रहा। कूड़े को आग लगाकर निस्तारित किया जा रहा है। ये सब हो रहा है, पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) में। यहां अप्रैल से नवंबर तक आठ महीनों में कूड़ा जलाने के 32 मामले सामने आए हैं। कूड़ा जलाने में मथुरा अव्वल है। यहां 17 स्थानों पर चालान हुए हैं। आगरा में तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं। भरतपुर और एटा के जलेसर में कार्रवाई शून्य है। हाथरस ने रिपोर्ट ही नहीं भेजी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ताजमहल को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए टीटीजेड प्राधिकरण गठित है। इसके अध्यक्ष मंडलायुक्त हैं। ताजमहल से 60 किमी परिधि में वायु प्रदूषण पर अंकुश के लिए कई प्रतिबंध हैं लेकिन कूड़ा जलाया जा रहा है। आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, एटा के अवागढ़ व जलेसर निकाय, हाथरस और भरतपुर ने कूड़ा जलाने के मामलों की रिपोर्ट टीटीजेड को भेजी है।
30 नवंबर को टीटीजेड को भेजी रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल से नवंबर तक 32 मामलों में कुल 4.51 लाख रुपये अर्थदंड वसूला गया है। सबसे खराब स्थिति मथुरा-वृंदावन नगर निगम की है। जहां अप्रैल से सितंबर तक 17 स्थानों पर कूड़े में आग लगाने की घटनाएं हुई। 29,400 रुपये जुर्माना वसूला गया। वहीं, आगरा नगर निगम क्षेत्र में अप्रैल से अक्तूबर तक कड़ा जलाने पर 3 एफआईआर दर्ज की गई हैं। लेकिन एक भी गिरफ्तारी नहीं की गई। तीन मामलों में 3.56 लाख रुपये अर्थदंड वसूला गया है।
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