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काम की तलाश में सड़क पर खड़े मजदूर
– फोटो : संवाद
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उत्तर प्रदेश के मथुरा में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान जारी है। इस दिन चौतरफा बंदी से मजदूरों को काम नहीं मिल सका। दो वक्त के निवाले की व्यवस्था न होता देख उनके चेहरे पर मायूसी दिखी। उन्हें इस बात की चिंता सता रही थी कि शाम को घर का चूल्हा कैसे जलेगा? बच्चों को निवाला कैसे मिलेगा?
जिले में हजारों की संख्या में ऐसे लोग हैं, जो मजदूरी करके अपना और परिवार का पेट पालते हैं। कह सकते हैं कि ये लोग रोज कमाने और खाने वाले हैं। एक दिन काम पर न जाएं या काम न मिले तो खाने के लाले पड़ जाते हैं। शुक्रवार को जहां एक तरफ लोगों में मतदान को लेकर उत्साह था, वहीं दूसरी ओर मजदूरों को काम न मिलने से निराशा थी।
मजदूर काम की तलाश में कृष्णानगर में सड़क पर खड़े थे। काम मिलने का इंतजार करते रहे। इनमें पुरुषों के साथ महिलाएं भी थीं। सुबह से कई घंटे तक सड़क पर खड़ा रहने के बाद भी जब काम नहीं मिला तो मजदूर मायूस होकर सड़क पर बैठ गए। अपनी किस्मत को कोसने लगे।
मजदूर राजू ने बताया कि घर में आटा नहीं है। वह यही सोचकर घर से निकला था, कि काम मिलेगा तो चार पैसे मिलेंगे। इससे वह घर के लिए राशन खरीद सकेगा। आज किस्मत ने राजू को धोखा दे दिया। उसे काम नहीं मिला।
सुनील भी काम के इंतजार में सड़क पर खड़ा थे। सुनील ने बताया कि बच्चों के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम करना है। इसी इरादे से वह काम की तलाश में सड़क पर खड़ा हैं। काफी देर से इंतजार कर रहा है, लेकिन कोई उसे काम देने नहीं आया।
टिंकू की भी हालत कुछ ऐसी ही थी। टिंकू के परिवार में वह अकेला कमाने वाला है। घर में पत्नी और बच्चे हैं। टिंकू ने बताया कि वह रोजाना कमा कर लाता है, तो घर का चूल्हा जलता है। ऐसे में अगर आज काम नहीं मिला तो उसके बच्चे क्या खाएंगे।
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