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श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मामले को लेकर मथुरा की अदालत में करीब 21 माह पूर्व लखनऊ निवासी मनीष यादव ने भगवान श्रीकृष्ण का वंशज बनकर श्रीकृष्ण जन्मभूमि के 13.37 एकड़ जमीन का दावा सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में किया था। दावा किया कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर ही ईदगाह खड़ी है। इस ईदगाह को औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर बनवाया था। यही भगवान श्रीकृष्ण का मूल जन्मस्थान है।
मनीष ने 15 नवंबर 2020 में जो केस डाला था, उसे अदालत ने मार्च 2021 में दर्ज किया और इस पर सुनवाई चल रही है। सुनवाई की धीमी गति को लेकर मनीष हाईकोर्ट गए और मई 2022 में हाईकोर्ट ने मनीष के केस को चार माह के अंदर निस्तारित करने के आदेश निचली अदालत को दिए। मई में ही मनीष ने निचली अदालत में ज्ञानवापी की तरह ईदगाह का भी कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर वीडियोग्राफी के माध्यम से सर्वे कराए जाने की मांग की, जब निचली अदालत में उनके इस प्रार्थनापत्र पर त्वरित सुनवाई नहीं हुई तो वह फिर से हाईकोर्ट गए और हाईकोर्ट ने उनके कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने संबंधी प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि निचली अदालत उनके इस प्रार्थना पत्र का निस्तारण चार माह में करें।
आखिरी सांस तक लडूंगा
मनीष ने बताया कि यह भगवान श्रीकृष्ण की ही प्रेरणा है कि मैं जन्मस्थान वाले केस में वादी हूं और उन्हीं की प्रेरणा से मुझे असली जन्मस्थान से ईदगाह हटाने में भी कामयाबी मिलेगी। जब तक मेरे अंदर सांस है, मैं आखिरी सांस तक लड़ाई लडूंगा।
अभी तक अदालत में हैं 12 केस
अदालत में अभी तक कुल 12 केस दर्ज हैं। इनमें से एक केस मनीष यादव का भी है। सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री, एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह, अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अनिल त्रिपाठी, ठाकुर केशव देव मंदिर के सेवायत पवन शास्त्री, लखनऊ हाईकोर्ट के अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह, पवन सिंह, पंकज सिंह आदि के केस भी शामिल हैं।
आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की मांग : महेंद्र
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उनका केस 23 दिसंबर 2020 स्वीकार हुआ था। सबसे पहले कोर्ट कमीशन और वीडियोग्राफी की मांग की। न्यायालय को बताया कि 1968 के समझौते के अनुसार भी ईदगाह के पास जमीन अधिक है। इसकी सुनवाई के कोर्ट कमीशन नियुक्त करने को लेकर जिला जज की अदालत में रिवीजन भी दाखिल किया। जिसकी सुनवाई 13 सिंतबर को होगी। इससे पहले आर्कि लोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की मांग भी की है।
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