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परिक्रमा मार्ग
– फोटो : अमर उजाला
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उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में ब्रज 84 कोस परिक्रमा मार्ग के सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। इस पर उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने सख्त आपत्ति दर्ज कराई है। ब्रजाचार्य पीठ ने कहा कि सौंदर्यीकरण के नाम पर परिक्रमा मार्ग के स्वरूप के साथ छेड़छाड़ और मनमानी की जा रही है।
ब्रजाचार्य पीठ के प्रवक्ता और नारायण भट्ट के वंशज गोस्वामी घनश्याम राज भट्ट ने शनिवार को पत्रकारों से वार्ता की। कहा कि ब्रज श्रीराधा-कृष्ण कालीन दिव्य प्राकृतिक विरासत है। ब्रज में पर्यटन के विकास और सौंदर्यीकरण के नाम पर इसके प्राचीन व मौलिक स्वरूप के साथ छेड़छाड़ अपराध है।
ब्रज प्राकट्य का श्रेय नारायण भट्ट
ब्रजाचार्य श्रील महाप्रभु नारायण भट्ट द्वारा लगभग पांच सौ साल पहले कृष्ण कालीन ब्रज के स्वरूप का निर्धारण किया था। इसकी पुष्टि मथुरा के अंग्रेज कलक्टर और राजकीय संग्रहालय के संस्थापक एफएस ग्राउस ने अपनी पुस्तक डिस्ट्रिक्ट मेमोयर ऑफ मथुरा में की है। नाभादास ने भी भक्तमाल में ब्रज प्राकट्य का श्रेय नारायण भट्ट को दिया है।
दो यात्राओं का जिक्र
घनश्याम राज भट्ट ने बताया कि श्रील महाप्रभु नारायण भट्ट ने ब्रज के स्वरूप का व्यापक वर्णन ब्रज प्राकट्य से जुड़े ग्रन्थ ब्रज भक्ति विलास में किया है। इसमें दो ही यात्रा का वर्णन है। पहली वन और दूसरी ब्रज यात्रा। वन यात्रा गांवों के बाहर से होती है।, बराह पुराण और विष्णु रहस्य पुराण में वन यात्रा का उल्लेख किया गया है। ब्रज यात्रा गांवों से होकर जाती है। ब्रजयात्रा के सौंदर्यीकरण में सीमा को लेकर मतभेद हैं।
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