[ad_1]
Mathura: लाखों देशी-विदेशी भक्तों ने ढोल नगाड़ों के बीच नाचते-गाते गोवर्धन परिक्रमा लगाई।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
कार्तिक मास में दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा के लिए तीर्थनगरी मथुरा के गोवर्धन में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। लाखों की संख्या में पहुंचे देशी-विदेशी भक्तों ने मंगलवार को गोवर्धन महाराज की परिक्रमा की। इस मौके पर श्रीराधे-राधे के संकीर्तन पर मृदंग, ढोल, मजीरा और थाप की धुन के बीच हरि बोल के गगनभेदी स्वर गूंज उठे। इसके साथ ही नृत्य करते हुए भक्तों ने गिरिराज महाराज की पूजा की। इस अवसर पर विदेशी भक्त भी भारतीय परिधान पहनकर सिर पर दही की मटकी और भोग की छबरी रख आगे बढ़ते दिखाई दिए।
दृश्य ऐसा कि प्रभु की भक्ति में कदम भी रोके नहीं रुक रहे थे। ऐसा नजारा देख बस यही लग रहा था कि एक बार फिर से गोवर्धन में द्वापर युग अवतरित हो गया है। गोवर्धन पूजा के भाव में गो-संवर्धन के प्रमुख केन्द्र गिरिराज महाराज की तलहटी मेंलाखों श्रद्धालुओं ने पहुंचकर गोवर्धन की परिक्रमा लगाई।
यह भी पढ़ेंः-UP: वृंदावन-झारखंड के बीच धर्म परंपरा बनी जुड़ाव का माध्यम, आदिवासी मोनिया भक्तों ने मोरपंखी के साथ किया नृत्य
गिरिराज जी की पूजा का उद्गम स्थल अनूठा नजर आया। दूसरी ओर अंतर्राष्ट्रीय गौड़ीय वेदांत समिति के तत्वावधान में गिरधारी गौड़ीय मठ से हर बार की तरह मंगलवार को गोवर्धन पूजा शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में कई देशों से आये विदेशी भक्त अपना गुरू भक्ति में नाम बदलकर ब्रज के रंग में रंगे नजर आये।
उनकी भेषभूषा भी ऐसी हो गई कि पहिचान करना भी परे था कि ये परदेशी हैं। मन के मुख से हरिबोल और गिरिराज पूजा के भाव को उमड़ता देख हर कोई गदगद हो गया। चरणामृत का पान करने के लिए हर कोई लालायित दिखा। गिरधारी गौड़ीय मठ से निकाली गई शोभायात्रा हरिगोकुल मंदिर से परिक्रमा मार्ग के राजा जी के मंदिर के पीछे गिरिराज जी की तलहटी में पहुंची। जहां गिरिराज जी का कई मन दूध, दही, शहद आदि के साथ अभिषेक किया।
यह भी पढ़ेंः- वृंदावन: श्रीधाम में धूमधाम से मनाया गया अन्नकूट महोत्सव, कोलकाता से आए गोपाल-भोग चावल का ठाकुरजी को लगा भोग
तरह-तरह के व्यंजन गिरिराज जी को अर्पित किये। दिल्ली से आई युवती कोमल ने बताया कि वे गिरिराज जी के लिए घर से पकवान बनाकर लाई हैं। उनकी बस एक ही कामना है कि कैसे उनकी गिरिराज जी भक्ति बढ़ती जाये। अमेरिका से आई गौरा दासी ने बताया कि यहां गुरू दीक्षा के बाद उनके नाम गुरू जी के निर्देश पर ही रखे गये हैं। ये नाम ठाकुर जी के नाम हैं। इस अवसर पर भक्ति वेदांत माधव महाराज, स्वामी नारायण दास बाबा,भक्ति, स्वामी तीर्थ महाराज आदि के निर्देशन में पूजा की गई।
[ad_2]
Source link