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UP Police
– फोटो : अमर उजाला
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आगरा के शाहगंज के सराय ख्वाजा इलाके में विवाहिता ने संदिग्ध हालात में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतका के परिजनों का आरोप है कि वह पड़ोसी युवकों के शोषण से परेशान थी। युवक अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेल कर रहे थे। इससे क्षुब्ध होकर ही उसने जान दी। पुलिस ने पोस्टमार्टम कराया। मगर, केस दर्ज नहीं किया। वह तहरीर लेकर भटकने को मजबूर हैं। उधर, पुलिस का कहना है कि पिता को तहरीर देने के लिए थाने बुलाया था। उन्होंने तहरीर देने से मना कर दिया है।
घटना 16 अप्रैल की दोपहर को हुई थी। विवाहिता का शव घर में फंदे से लटका मिला था। मृतका के भाई ने बताया कि बहन की शादी वर्ष 2017 में हुई थी। बहनोई मजदूरी करते हैं। दो बेटियां हैं। बहन-बहनोई बच्चों के साथ किराये के मकान में रहते हैं। आरोप लगाया कि बहन की नहाते समय पड़ोस में रहने वाले दो युवकों ने वीडियो बना ली।
इसके बाद ब्लैकमेल करने लगे। उसका शोषण शुरू कर दिया। अपने पास बुलाने लगे। इस बारे में बहन ने पति और सास को जानकारी दी। वह शिकायत करने युवकों के घर गए। मगर, आरोपी का परिवार धमकी देने लगा। पुलिस से शिकायत पर बदनाम करने की बोलने लगे।
समाज के लोगों को बुलाकर पंचायत भी कराई। मगर, आरोपी नहीं माने। बदनाम करने की कहने लगे। बात नहीं मानने पर अपने दोस्तों को अश्लील फोटो भेजकर बदनाम कर दिया। 15 अप्रैल को घर के बाहर ही म्यूजिक सिस्टम लगाकर अश्लील गाने चलाने लगे। इस दौरान बहन के बारे में अश्लील बातें भी बोलने लगे। इसका विरोध किया। मगर, युवक नहीं माने। घर में घुसकर गालीगलौज और मारपीट की। इससे ही बहन परेशान हो गई। घर में फंदा लगा लिया।
चार बार पुलिस से मिले, फिर भी मुकदमा नहीं
मृतका के भाई ने बताया कि वह शिकायत करने 4 बार पुलिस के पास गए। एक बार पुलिस आयुक्त कार्यालय में प्रार्थनापत्र दिया। मगर, मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। चौकी प्रभारी समझौते का दबाव बना रहे हैं। कह रहे हैं कि आरोपियों को कुछ ही देर में जमानत मिल जाएगी। इसलिए समझौता कर लो। 5 लाख रुपये लेकर मामला रफा-दफा करने का दबाव बना रहे हैं।
बिना हस्ताक्षर के व्हाट्सएप पर भेजी तहरीर
एसीपी लोहामंडी मयंक तिवारी का कहना है कि मृतका के पिता ने व्हाट्सएप पर तहरीर भेजी थी। उस पर हस्ताक्षर नहीं थे। उन्हें थाने पर बुलाया गया। कहा गया कि हस्ताक्षर कर दें। मगर, उन्होंने कहा कि पहले पुलिस दबिश दे, तब हस्ताक्षर करेंगे। इस पर दबिश दी गई। आरोपी नहीं मिले। अब पिता को कई बार बुलाया गया। मगर, वो तहरीर देने नहीं आ रहे हैं। पुलिस के पास पिता से बातचीत के ऑडियो क्लिप भी मौजूद हैं।
सवालों के घेरे में पुलिस
पीड़ित परिजन का कहना है कि 20 अप्रैल को पुलिस आयुक्त कार्यालय में प्रार्थनापत्र दिया था। मामले में जांच के आदेश हुए। इसके बावजूद पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। सवाल उठता है कि पुलिस आत्महत्या के मामले में आरोप गंभीर होने पर भी क्या करती रही। सिर्फ हस्ताक्षर नहीं होने की वजह से मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। पुलिस की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है।
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