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किशनी में रामलीला में धनुष भंग की लीला का मंचन करता कलाकार।
– फोटो : MAINPURI
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किशनी (मैनपुरी)। नगर के रामलीला प्रांगण में चल रही रामलीला के तीसरे दिन धनुष यज्ञ, रावण वाणासुर संवाद, जनक विलाप का भावपूर्ण मंचन हुआ। मंचन कार्यक्रम में जैसे ही श्रीराम ने शिवजी का धनुष तोड़ा। धनुष टूटने की आवाज सुनकर परशुराम गरजते हुए जनक दरबार में पहुंचे।
शनिवार रात को किशनी में रामलीला का मंचन जनकपुर में राजा जनक के दरबार सीता विवाह के स्वयंवर से शुरू हुआ। स्वयंवर में देश दुनिया के सभी छोटे-बड़े राजाओं ने भाग लिया, जिसमें लंका का राजा रावण भी पहुंचा था। इसी बीच में महर्षि विश्वामित्र के साथ में राम और लक्ष्मण भी पहुंचे। जब देश-देश के राजा महाराजा शिवजी के धनुष को हिला भी नही पाए तो लंका का राजा रावण ज्यों ही धनुष उठाने के लिए झुका कि आकाशवाणी सुनकर रावण वापस लंका चला जाता है। जबकि राजा जनक अपनी ही घोषणा पर पछताने लगे।
श्रीराम को महर्षि ने धनुष को उठाने की आज्ञा दी। गुुरु की आज्ञा पाकर श्रीराम ने धनुष को उठा उसका प्रत्यंचा चढ़ानी चाही तो धनुष तेज आवाज के साथ कई खंड में टूट गया। लोगों ने श्रीराम की जय जयकार की। रामलीला के मंच पर दिन में परशुराम लक्ष्मण संवाद की लीला हुई। शिव धनुष के टूटने की आवाज सुन परशुराम जनकपुर पहुंचते है और लक्ष्मण से संवाद शुरू होता है।
इससे पूर्व मुख्य अतिथियों का रामलीला के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कमेटी के सदस्यों के साथ मालाएं पहनाकर व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस मौके पर चेयरमैन अनिल मिश्रा, राजीव गुप्ता, अमित तिवारी, बलराम श्रीवास्तव, नरेंद्र यादव, अनूप चौहान, रानू गुप्ता, गोपाल चौहान, राहुल चौहान, आदेश गुप्ता, सुखदेव तोमर, हरीराम शाक्य, बीटू यादव, पंकज चौहान, श्रीचंद्र दिवाकर, भरत गुप्ता, गौरव यादव, रमाकांत गुप्ता, उमाकांत यादव, राघव चौहान आदि लोग मौजूद रहे।
किशनी (मैनपुरी)। नगर के रामलीला प्रांगण में चल रही रामलीला के तीसरे दिन धनुष यज्ञ, रावण वाणासुर संवाद, जनक विलाप का भावपूर्ण मंचन हुआ। मंचन कार्यक्रम में जैसे ही श्रीराम ने शिवजी का धनुष तोड़ा। धनुष टूटने की आवाज सुनकर परशुराम गरजते हुए जनक दरबार में पहुंचे।
शनिवार रात को किशनी में रामलीला का मंचन जनकपुर में राजा जनक के दरबार सीता विवाह के स्वयंवर से शुरू हुआ। स्वयंवर में देश दुनिया के सभी छोटे-बड़े राजाओं ने भाग लिया, जिसमें लंका का राजा रावण भी पहुंचा था। इसी बीच में महर्षि विश्वामित्र के साथ में राम और लक्ष्मण भी पहुंचे। जब देश-देश के राजा महाराजा शिवजी के धनुष को हिला भी नही पाए तो लंका का राजा रावण ज्यों ही धनुष उठाने के लिए झुका कि आकाशवाणी सुनकर रावण वापस लंका चला जाता है। जबकि राजा जनक अपनी ही घोषणा पर पछताने लगे।
श्रीराम को महर्षि ने धनुष को उठाने की आज्ञा दी। गुुरु की आज्ञा पाकर श्रीराम ने धनुष को उठा उसका प्रत्यंचा चढ़ानी चाही तो धनुष तेज आवाज के साथ कई खंड में टूट गया। लोगों ने श्रीराम की जय जयकार की। रामलीला के मंच पर दिन में परशुराम लक्ष्मण संवाद की लीला हुई। शिव धनुष के टूटने की आवाज सुन परशुराम जनकपुर पहुंचते है और लक्ष्मण से संवाद शुरू होता है।
इससे पूर्व मुख्य अतिथियों का रामलीला के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कमेटी के सदस्यों के साथ मालाएं पहनाकर व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस मौके पर चेयरमैन अनिल मिश्रा, राजीव गुप्ता, अमित तिवारी, बलराम श्रीवास्तव, नरेंद्र यादव, अनूप चौहान, रानू गुप्ता, गोपाल चौहान, राहुल चौहान, आदेश गुप्ता, सुखदेव तोमर, हरीराम शाक्य, बीटू यादव, पंकज चौहान, श्रीचंद्र दिवाकर, भरत गुप्ता, गौरव यादव, रमाकांत गुप्ता, उमाकांत यादव, राघव चौहान आदि लोग मौजूद रहे।
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