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उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट से सांसद मुलायम सिंह यादव के निधन बाद कौन चुनाव लड़ेगा, इसे लेकर तमाम नामों पर चर्चा रही। हालांकि अब तय हो चुका है कि यहां होने वाले उपचुनाव में मुलायम सिंह यादव की बहू और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव चुनाव मैदान में उतर रही हैं। इस सीट से डिंपल यादव का नाम सपा मुखिया अखिलेश यादव ने किस सोच के साथ तय किया, इसके पीछे के प्रमुख पांच कारण माने जा रहे हैं।
मैनपुरी सीट पर नेताजी का रहा हमेशा दबदबा
मैनपुरी सीट पर नेताजी मुलायम सिंह यादव का हमेशा दबदबा रहा। चार अक्तूबर 1992 को मुलायम सिंह यादव ने सपा का गठन किया। इसके ठीक बाद उन्होंने मैनपुरी लोकसभा सीट पर 1996 में चुनाव लड़ा और जीता। नेताजी ने सैफई को जन्मस्थली तो वहीं मैनपुरी को हमेशा अपनी कर्मस्थली माना। चुनाव के दौरान कई मंचों से उन्होंने ये एलान भी किया। इसीलिए मैनपुरी की जनता हमेशा अपने नेता के साथ रही। मतदाताओं के सहयोग की दमभर ही 1996 से लेकर अब तक सपा मैनपुरी लोकसभा सीट पर काबिज है।
मैनपुरी से डिंपल, ये हैं पांच प्रमुख कारण
1- मुलायम की विरासत का इकलौता वारिश होने का दिया संदेश।
2- परिवार को एकजुट करने की कोशिश की गई है।
3- मैनपुरी के लिए नया चेहरा, कोई विरोध नहीं। ऐसे में अन्य से बेहतर रहेंगी प्रत्याशी।
4- नेताजी के निधन के बाद मतदाताओं की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश।
5- समाजवादी पार्टी के लिए मैनपुरी आज भी सबसे सुरक्षित सीट है।
डिंपल यादव कन्नौज से सांसद रह चुकी हैं। फिरोजाबाद में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। मैनपुरी लोकसभा सीट पर भी डिंपल की राह आसान नहीं है।
यहां सपा का सीधा मुकाबला भाजपा से होगा। भाजपा भी इस सीट पर दमदारी से चुनाव लड़ेगी। वहीं धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव जैसा लोकप्रिय नेता भी सपा के बीच नहीं है।
खरीदा गया नामांकन पत्र
सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के लिए जिला अध्यक्ष आलोक शाक्य और सांसद प्रतिनिधि देवेंद्र सिंह यादव नामांकन पत्र खरीदन के लिए पहुंचे हैं।
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