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– फोटो : social media
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‘मोहब्बत की कहानी का मैं वो किरदार बन जाऊं, तुम्हें पाने की कोशिश में क्या से क्या न कर जाऊं’। किसी शायर की इन लाइनों को शहर के कई जोड़ों ने चरितार्थ करके दिखाया है। जब प्यार किया तो ऐसा कि महजब, भाषा की दीवार को तोड़ दी। अब हमसफर बनकर जीवन की यात्रा तय कर रहे हैं। मोहब्बत की नगरी आगरा में वैलेंटाइन वीक में ऐसे कुछ जोड़ों का जिक्र लाजिमी है। 8 फरवरी को प्रपोज डे है, कई प्रेमी जोड़े अपनी मोहब्बत का इजहार भी करेंगे।
फिल्म टू स्टेट्स की तरह प्रेम कहानी
हमारी प्रेम कहानी फिल्म टू स्टेट्स की तरह रही। मैं दक्षिण भारत की और मेरे पति डॉ. आशीष त्रिपाठी आगरा के रहने वाले। मेडिकल कॉलेज में डॉ. आशीष से मुलाकात हुई और प्रेम कहानी शुरू हो गई, बात शादी तक जा पहुंची। संस्कृति, वेशभूषा, भाषा सब कुछ अलग होने की वजह से दोनों परिवार पहले तो शादी के लिए मना कर रहे थे पर बाद में मान गए। वैवाहिक जीवन की यात्रा को 23 वर्ष पूरे हो चुके हैं। – डॉ. रश्मि त्रिपाठी, अर्जुन नगर
एक-दूसरे के मजहब का करते हैं सम्मान
वर्ष 1998 में विभव नगर में रहने के लिए परिवार के साथ रहने के लिए पहुंचीं। यहीं, दूसरे मजहब के युवक से दोस्ती हुई और वह प्यार में बदल गई। हमने वेलेंटाइन वीक में ही शादी की। हर परिस्थिति में हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहे। शादी को 20 साल हो चुके हैं। हम दोनों एक साथ मिल ईद और दिवाली मनाते हैं। पति मेरे मजहब का सम्मान करते हैं और मैं उनके। -नौरीन अख्तर, विभव नगर
जिसके लिए लड़का ढूंढ रहा था, उसे मैं ही पसंद आ गया
मेरी पत्नी जयपुर की और मैं आगरा का रहने वाला। पत्नी के पिता मेरे परिचित अशोक जैन को बेटी के रिश्ते के लिए लड़का ढूंढने की कहते थे। अशोक जैन के कहने पर मैं भी लड़के पसंद करके फोटो भेजता था। किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। जिसके लिए लड़का ढूंढ रहा था, उसे मैं ही पसंद आ गया। शादी की बात बढ़ी और मोहब्बत का इजहार भी हुआ। अब शादी को 33 साल हो गए पर हमारा प्यार आज भी जवां है। -संदेश जैन, प्रताप नगर
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