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राधा-कृष्ण और भगवान श्रीराम के श्रीविग्रह
– फोटो : अमर उजाला
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ब्रज का कण-कण भगवान श्रीकृष्ण की लीला का साक्षी है। ऐसी ही एक लीला का साक्षी है वृंदावन का तुलसी राम दर्शन स्थल। मान्यता है कि यहां श्रीकृष्ण ने भगवान राम का रूप धारण कर महाकवि तुलसीदास को दर्शन दिए थे। तभी से इस श्रीकृष्ण मंदिर का नाम तुलसीराम दर्शन स्थल हो गया। यहां भगवान अयोध्यापति रामस्वरूप में धनुष बाण धारी होकर विराजित हैं।
उप्र सरकार द्वारा प्रकाशित कराई पुस्तक ब्रज लोक संपदा पुस्तक में वृंदावन शोध संस्थान के समन्वयक उमेश चंद शर्मा ने ज्ञान गुदड़ी मंदिर पर लेख लिखा था। उमेश चंद बताते हैं कि तुलसीदास के समकालीन अविनाश ब्रह्म भट्ट ने गोस्वामीजी के चरित्र को तुलसी प्रकाश पोथी के अंतर्गत कलमबद्ध किया था। इससे ज्ञात होता है कि गोस्वामीजी विक्रम संवत 1628 में माघ शुक्ल पंचमी तिथि मंगलवार को ब्रज में आए थे। वृंदावन के ज्ञान गुदड़ी स्थित तुलसीराम दर्शन स्थल पर वह ब्रज की यात्रा करते हुए आए थे। यहां सर्वत्र राधे-राधे की रट सुनकर तुलसीदास लगा कि शायद यहां के लोगों में भगवान राम के प्रति उतनी भक्ति नहीं है। इस पर तुलसीदास के मुख से दोहा निकला ‘राधा-राधा रटत हैं, आम ढाक अरु कैर। तुलसी या ब्रजभूमि में कहा राम सौं बैर। का वरनऊ छवि आज की भले बने हो नाथ, तुसली मस्तक तब नबे धनुष बाण लियो हाथ।
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