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मैनपुरी। जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बंदियों को राहत मिलेगी। जो बंदी जेल में 10 से 15 साल की सजा काट चुके हैं। उनके मामले चिह्नित करके बंदियों की रिहाई की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश के बाद जेल में ऐसे बंदियों की सूची तैयार कराई जा रही है।
गंभीर मामलों में सुनवाई के बाद कई बंदियों को अदालतों से आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। कई बंदी 10 से 15 साल तक की सजा काट भी चुके हैं। ऐसे बंदियों के मामलों का प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण करने को कहा गया है। जेल में ऐसे बंदियों की पहचान करके उनकी सूची तैयार करने के निर्देश जेल अधीक्षक को दिए हैं। जेल अधीक्षक की रिपोर्ट जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में भेजी जाएगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर आजीवन कारावास की सजा वाले बंदियों की रिहाई के संबंध में प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
बंदी का आचरण भी बनेगा आधार
आजीवन कारावास की सजा होने के बाद जेल में सजा काट रहे बंदियों की रिहाई में उनका जेल में आचरण भी आधार बनेगी। जेल प्रशासन द्वारा अपनी रिपोर्ट में बंदी द्वारा आजीवन कारावास की सजा में से जेल में बिताई गई सजा की अवधि के साथ ही बंदी के जेल में आचरण के संबंध में भी स्पष्ट उल्लेख करना होगा।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश के बाद जेल प्रशासन से आजीवन कारावास की सजा वाले बंदियों की सूची मांगी गई है। जेल प्रशासन द्वारा निर्धारित प्रारूप पर रिपोर्ट दी जाएगी। जेल प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर ही संबंधित बंदियों की रिहाई हो सकेगी।
गौरव प्रकाश, सचिव विधिक सेवा प्राधिकरण
मैनपुरी। जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बंदियों को राहत मिलेगी। जो बंदी जेल में 10 से 15 साल की सजा काट चुके हैं। उनके मामले चिह्नित करके बंदियों की रिहाई की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश के बाद जेल में ऐसे बंदियों की सूची तैयार कराई जा रही है।
गंभीर मामलों में सुनवाई के बाद कई बंदियों को अदालतों से आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। कई बंदी 10 से 15 साल तक की सजा काट भी चुके हैं। ऐसे बंदियों के मामलों का प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण करने को कहा गया है। जेल में ऐसे बंदियों की पहचान करके उनकी सूची तैयार करने के निर्देश जेल अधीक्षक को दिए हैं। जेल अधीक्षक की रिपोर्ट जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में भेजी जाएगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर आजीवन कारावास की सजा वाले बंदियों की रिहाई के संबंध में प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
बंदी का आचरण भी बनेगा आधार
आजीवन कारावास की सजा होने के बाद जेल में सजा काट रहे बंदियों की रिहाई में उनका जेल में आचरण भी आधार बनेगी। जेल प्रशासन द्वारा अपनी रिपोर्ट में बंदी द्वारा आजीवन कारावास की सजा में से जेल में बिताई गई सजा की अवधि के साथ ही बंदी के जेल में आचरण के संबंध में भी स्पष्ट उल्लेख करना होगा।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश के बाद जेल प्रशासन से आजीवन कारावास की सजा वाले बंदियों की सूची मांगी गई है। जेल प्रशासन द्वारा निर्धारित प्रारूप पर रिपोर्ट दी जाएगी। जेल प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर ही संबंधित बंदियों की रिहाई हो सकेगी।
गौरव प्रकाश, सचिव विधिक सेवा प्राधिकरण
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