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कासगंज के सोरोंजी में बंदरों से बचाव के लिए हाथों में डंडा लेकर स्कूल जाते विद्यार्थी ।
– फोटो : KASGANJ
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सोरोंजी/कासगंज। बच्चे स्कूल बैग में टाइम टेबल के हिसाब से कॉपी-किताबें, लंच और पानी की बोतल रखना भले भूल जाएं, यह डंडा ले जाना नहीं भूलते। परिजन भी स्कूल जाने से पहले बच्चों से पूछ लेते हैं, लला डंडा लै लओ कि नाए। सुबह-शाम सैर पर जाने वाले नौजवानों के हाथों में भी डंडा जरूर नजर आता है। इसकी वजह बंदरों का उत्पात है।
सोरोंजी में अभिभावकों को बच्चों को स्कूल छोड़ने और लेने जाना पड़ रहा है। स्कूल आते-जाते बच्चों को बंदरों के काटने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। स्कूल प्रशासन ने बंदरों से रक्षा के लिए बच्चों को डंडा रखने की स्वीकृति दे दी है। इलाकाई लोगों को आशंका है कि अन्य शहरों से बंदर लाकर यहां छोड़े जा रहे हैं। हरि की पौड़ी परिक्रमा मार्ग पर यह श्रद्धालुओं के कपड़े, चश्मे, जूते आदि सामान छीनकर ले जाते हैं। तीर्थवासी सुनील पंडित, रामकुमार वर्मा, राजेश पाटकर, देवेंद्र कुमार, मोहित आदि ने पालिका प्रशासन से बंदरों को पकड़वाए जाने की मांग की है।
शहर में बच्चों ही नहीं, सुबह और शाम सैर पर निकले लोगों के हाथ में भी डंडा रहता है। ठेल धकेल और दुकानदारों को भी बंदरों से हर समय चौकन्ना रहना पड़ता है। यह निगाह हटते ही घरों से भी सामान उठा ले जाते हैं। बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन पर यात्री भी इनसे परेशान रहते हैं। यह कई लोगों पर हमला कर घायल कर चुके हैं। यह हाल जिले के अन्य इलाकों का भी है।
बंदरों के खौफ से रहता हाथों में थैला
कासगंज। प्रशासन पॉलिथीन मुक्त जनपद के लिए अभियान चलाता रहता है। इसके बाद भी लोग नहीं मानते हैं। अब बंदरों के खौफ से लोग थैला लेकर बाजार जाने लगे हैं। पॉलिथीन में सामान या खाद्य सामग्री ले जाने पर बंदर हमला कर देते हैं। पॉलिथीन फाड़ देते हैं। थैली में रखा सामान सड़क पर बिखरने से लोगों को नुकसान होता है। सामान को घर तक सुरक्षित ले जाने के लिए लोग थैला लेकर बाजार आने-जाने लगे हैं।
बंदरों के काटने से ये लोग हो चुके घायल
सोरोंजी। मोहल्ला मड़ई निवासी वीना देवी पत्नी कामेश्वर बल्लभ की वर्ष 2019 में बंदरों के हमले में घायल होने से मौत हो गई थी। कुछ दिन पूर्व बाहर दहलान निवासी मोहित (18), होड़लपुर के संजीव (12), चक्रतीर्थ निवासी दयाराम (40), चंदन चौक निवासी दिनेश कुमार (32), बदरिया मोहल्ला निवासी राजेश कुमार(18) बंदरों के हमले में घायल हो चुके हैं।
सोरोंजी/कासगंज। बच्चे स्कूल बैग में टाइम टेबल के हिसाब से कॉपी-किताबें, लंच और पानी की बोतल रखना भले भूल जाएं, यह डंडा ले जाना नहीं भूलते। परिजन भी स्कूल जाने से पहले बच्चों से पूछ लेते हैं, लला डंडा लै लओ कि नाए। सुबह-शाम सैर पर जाने वाले नौजवानों के हाथों में भी डंडा जरूर नजर आता है। इसकी वजह बंदरों का उत्पात है।
सोरोंजी में अभिभावकों को बच्चों को स्कूल छोड़ने और लेने जाना पड़ रहा है। स्कूल आते-जाते बच्चों को बंदरों के काटने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। स्कूल प्रशासन ने बंदरों से रक्षा के लिए बच्चों को डंडा रखने की स्वीकृति दे दी है। इलाकाई लोगों को आशंका है कि अन्य शहरों से बंदर लाकर यहां छोड़े जा रहे हैं। हरि की पौड़ी परिक्रमा मार्ग पर यह श्रद्धालुओं के कपड़े, चश्मे, जूते आदि सामान छीनकर ले जाते हैं। तीर्थवासी सुनील पंडित, रामकुमार वर्मा, राजेश पाटकर, देवेंद्र कुमार, मोहित आदि ने पालिका प्रशासन से बंदरों को पकड़वाए जाने की मांग की है।
शहर में बच्चों ही नहीं, सुबह और शाम सैर पर निकले लोगों के हाथ में भी डंडा रहता है। ठेल धकेल और दुकानदारों को भी बंदरों से हर समय चौकन्ना रहना पड़ता है। यह निगाह हटते ही घरों से भी सामान उठा ले जाते हैं। बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन पर यात्री भी इनसे परेशान रहते हैं। यह कई लोगों पर हमला कर घायल कर चुके हैं। यह हाल जिले के अन्य इलाकों का भी है।
बंदरों के खौफ से रहता हाथों में थैला
कासगंज। प्रशासन पॉलिथीन मुक्त जनपद के लिए अभियान चलाता रहता है। इसके बाद भी लोग नहीं मानते हैं। अब बंदरों के खौफ से लोग थैला लेकर बाजार जाने लगे हैं। पॉलिथीन में सामान या खाद्य सामग्री ले जाने पर बंदर हमला कर देते हैं। पॉलिथीन फाड़ देते हैं। थैली में रखा सामान सड़क पर बिखरने से लोगों को नुकसान होता है। सामान को घर तक सुरक्षित ले जाने के लिए लोग थैला लेकर बाजार आने-जाने लगे हैं।
बंदरों के काटने से ये लोग हो चुके घायल
सोरोंजी। मोहल्ला मड़ई निवासी वीना देवी पत्नी कामेश्वर बल्लभ की वर्ष 2019 में बंदरों के हमले में घायल होने से मौत हो गई थी। कुछ दिन पूर्व बाहर दहलान निवासी मोहित (18), होड़लपुर के संजीव (12), चक्रतीर्थ निवासी दयाराम (40), चंदन चौक निवासी दिनेश कुमार (32), बदरिया मोहल्ला निवासी राजेश कुमार(18) बंदरों के हमले में घायल हो चुके हैं।
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