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– फोटो : अमर उजाला
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पहले आम चुनाव में जवाहर लाल नेहरू की काफी लोकप्रियता थी। जनता में उनकी स्वीकार्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चुनाव से पहले ही पराजय के डर से जनसंघ ने उत्तर प्रदेश के अपने कई उम्मीदवारों को चुनाव मैदान से हटने के लिए कह दिया था। पार्टी के नेताओं को आशंका थी, कि नेहरू के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस की आंधी से टिमटिमा रहा जनसंघ का दीपक (जनसंघ का चुनाव चिह्न) कहीं बुझ न जाए।
अमर उजाला के 12 जनवरी 1952 के अंक में प्रकाशित समाचार के अनुसार जनसंघ के हाई कमान ने अपने नेताओं से कहा कि वे उन निर्वाचन क्षेत्रों में जहां कांग्रेस के सामने बुरी तरह हारने का खतरा हो, वहां से अपने प्रत्याशियों को चुनाव मैदान से हटा लें। अगर उम्मीदवार नहीं हटते हैं, तो उनका समर्थन करना बंद कर दें।
दरअसल, जनसंघ के नेता नेहरू के यूपी के दौरों से घबरा गए थे। उन्होंने मान लिया था कि पार्टी को जनता का समर्थन नहीं मिल रहा है। हाई कमान के आदेश के बाद लोकसभा और विधानसभा के उम्मीदवारों ने उन क्षेत्रों में जहां कांग्रेस की स्थिति बहुत ज्यादा मजबूत है। जनसंघ के प्रत्याशी के जीतने की कोई भी उम्मीद नहीं है। ऐसे स्थानों पर उनसे हटने के लिए कह दिया है।
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