[ad_1]
court new
– फोटो : istock
विस्तार
आगरा के लोहामंडी थाना क्षेत्र में एक किरायेदार से मकान खाली कराने में मकान मालिक को 13 साल लग गए। इसके लिए उन्हें सिविल जज से लेकर हाईकोर्ट तक का रुख करना पड़ा। किरायेदार ने हाईकोर्ट में रिट दायर कर दी थी।
मामले के अनुसार लोहामंडी के खातीपाड़ा निवासी देवेंद्र शर्मा के मकान में ताराचंद किराये पर रहता था। देवेंद्र शर्मा की मां प्रेमवती ने ताराचंद से मकान खाली करने के लिए बोला, तो उसने मना कर दिया। इस पर उन्होंने 2010 में सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद प्रस्तुत किया था। दो साल बाद 30 जनवरी 2012 को तत्कालीन सिविल जज सीनियर डिवीजन ने किरायेदार को मकान खाली करने के आदेश दिए।
किरायेदार ने सिविल जज के आदेश के विरुद्ध सत्र न्यायालय में अपील की। तत्कालीन अपर जिला जज 10 ने 18 सितंबर 2012 को किरायेदार की अपील खारिज कर दी। इसके बाद उसने हाईकोर्ट में रिट प्रस्तुत की। हाईकोर्ट ने 26 नवंबर 2012 को किरायेदार की रिट खारिज कर 9 महीने के अंदर कब्जा दिलाने के आदेश किए।
इसके बावजूद किरायेदार मकान पर कब्जा किए था। देवेंद्र ने हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में फिर से प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया। इसके बाद सिविल जज 11 दिसंबर 2023 को थानाध्यक्ष लोहामंडी को मकान खाली कराकर मालिक को कब्जा दिलाने के आदेश किए। तब पुलिस ने मालिक को मकान पर कब्जा दिलाया।
[ad_2]
Source link