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डॉ. दिव्येश शुक्ला
– फोटो : अमर उजाला
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खुद को टीबी है या फिर घर में इसका कोई मरीज। ऐसी स्थिति में करीब 10 फीसदी महिलाओं की कोख सूनी हो रही है। इंडियन एसोसिएशन ऑफ गाइनेकोलॉजिकल एडोस्कोपिस्ट की कार्यशाला में डॉक्टरों ने इसे महिलाओं में बांझपन की वजह माना है। अंतिम दिन चिकित्सकों ने स्त्री रोग की बीमारियां, उसकी वजह, इलाज और बचाव पर व्याख्यान दिया।
दिल्ली एम्स के स्त्री रोग विभागाध्यक्ष डॉ. जेबी शर्मा ने कहा कि टीबी के कीटाणु के कारण फैलोपियन ट्यूब बंद हो जाता है, माहवारी अनियमित होने लगती है। इससे महिलाएं बांझपन का शिकार हो जाती हैं। 8 से 10 फीसदी मामलों में ये देखा गया है। इनमें टीबी के लक्षण भी नहीं दिखते। कार्यशाला में डॉ. कमलेश टंडन, डॉ. जयदीप मल्होत्रा, डॉ. अनुपम गुप्ता, डॉ. पूनम यादव, डॉ. शिखा सिंह, डॉ. रिचा सिंह, डॉ. गार्गी गुप्ता, डॉ. सविता त्यागी, डॉ. स्मिता टंडन, डॉ. रेखा रानी आदि मौजूद रहीं।
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