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नेहरू को हराने के लिए उद्योगपतियों ने लगा दिया था पूरा जोर
– फोटो : अमर उजाला
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इन दिनों लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टियों में घमासान मचा हुआ है। खुद की जीत के लिए पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रही हैं। जनता के सामने खुद को बेहतर साबित करने में जुटी हैं। कई बार किसी समुदाय/संगठन द्वारा पार्टियों का गुणा गणित बिगाड़ने की कोशिश भी की जाती है।
ऐसा ही एक किस्सा 1952 में हुआ। जब धनकुबेरों ने पंडित नेहरू को हराने के लिए अपना खजाना खोल दिया था। बताते चलें कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का झुकाव समाजवाद की ओर था। देश के उद्योगपतियों को उनकी आर्थिक नीतियां नापसंद थीं। पहले चुनाव में नेहरू ने जौनपुर-इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से उतरने का फैसला किया।
देशभर के उद्योगपति उन्हें हराने के लिए एकजुट हो गए। उन्होंने जनसंघ के समर्थन से खड़े प्रभुदत्त ब्रह्रमचारी की जीत के लिए जी तोड़ प्रयास किया। नेहरू को हराने के लिए थैलियों के मुंह खोल दिए, लेकिन नेहरू के व्यक्तित्व और प्रसिद्धि के आगे ब्रह्मचारी जमानत भी नहीं बचा सके।
90 प्रतिशत वोट नेहरू को मिले
अमर उजाला में 26 जनवरी 1952 को प्रकाशित खबर के मुताबिक जाने-माने धनकुबेरों ने नेहरू को हराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थी। कानपुर, मुंबई, अहमदाबाद और कोलकाता समेत देशभर के उद्योगपतियों ने नेहरू के खिलाफ प्रचार में खूब खर्च किया। इस चुनाव में नेहरू विरोधियों और उद्योगपतियों को मुंह की खानी पड़ी। चुनाव में नेहरू को 90 प्रतिशत वोट मिले।
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