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किडनी
– फोटो : istock
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आगरा में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ होम्योपैथी फिजीशियंस (आईआईएचपी) की कार्यशाला में मामूली परेशानी पर एलोपैथी दवाएं खाने से होने वाले दुष्प्रभाव और गंभीर रोगों में होम्योपैथी उपचार पर व्याख्यान हुए। फतेहाबाद रोड स्थित होटल में आयोजित कार्यशाला में डॉक्टर बोले-मामूली दर्द होने पर भी मरीज टैबलेट खाने से युवाओं की किडनी बीमार पड़ रही है। होम्योपैथी की उपचार से किडनी फेल्योर के मरीज भी ठीक हो रहे हैं।
आईआईएचपी के अध्यक्ष डॉ. तनवीर हुसैन ने बताया कि किडनी फेल्योर के मरीजों की होम्योपैथी से औसतन 8-10 महीने उपचार करने के बाद उनको किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत नहीं पड़ी। यहां तक कि उनको डायलिसिस भी नहीं करानी पड़ी। पित्त की थैली में पथरी, लिवर की गंभीर रोग भी ठीक हुए। जलगांव के डॉ. जसवंत सिंह पाटिल ने कहा कि मानसिक रोग, हृदय, फेफड़े और कैंसर के मरीजों में भी होम्योपैथी से बेहतर परिणाम आए हैं।
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आयोजन सचिव डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा कि उच्चरक्तचाप, थायरायड, मधुमेह की बीमारी को होम्योपैथी से ठीक किया जा सकता है। सरकार से होम्योपैथी अस्पताल खुलवाने की मांग करेंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने होम्योपैथी को सस्ती और कारगर बताया। डॉ. सुधांशु आर्य, डाॅ. महेश पगड़ाला, डॉ. गीता मोविया, डॉ. योगेश शुक्ला, डॉ. पवन पारीक, डॉ. विष्णु शर्मा, डॉ. पंकज त्रिपाठी, डॉ.धीरेंद्र सिंह, डॉ. दिवाकर वशिष्ठ आदि ने भी व्याख्यान दिया।
इंटीग्रेटेड दवा बनाने की जरूरत
लुधियाना के डॉ. मुक्तेंदर सिंह ने कहा कि किडनी, हृदय, कैंसर, लिवर, मानसिक रोग समेत अन्य कई तरह के गंभीर रोग बढ़ रहे हैं। अब जरूरत है कि एलोपैथी और होम्योपैथी को मिलाकर इंटीग्रेटेड दवाएं तैयार की जाएं। ऐलौपैथी से बीमारी पर नियंत्रण और होम्योपैथी से उसे जड़ से खत्म किया जा सकता है। इससे जीवन भर इलाज चलने वाली बीमारियों में 3-4 साल में मर्ज खत्म की जा सकेगी। इस पर सरकार गंभीर है और आयुष विभाग ने आयुर्वेद, योग, यूनानी, होम्योपैथी विभाग का गठन भी किया है।
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