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वृंदावन में रंगभरी एकादशी पर मंदिर की आभा देख लग रहा था कि मानो ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में रंगीले बादल छा गए हों। रंगीली होली पर जनजन के आराध्य ने जब भक्तों संग होली खेली तो लगा कि समय ठहर सा गया है। इस दिव्य होली के दर्शन के साक्षी बनने के लिए देश विदेश से लाखों भक्त प्रेमावेश से लवरेज होकर अपने आराध्य के दर्शन के लिए पहुंचे।
प्रेम से वशीभूत जनसमुद्र मंदिर प्रांगण में हिलोरे मार रहा था। मंदिर प्रांगण में ठाकुर बांके बिहारी के गगन भेदी जयकारे लाड़ले के प्रति भक्तों की अटूट श्रद्धा का बता रहे थे। अबीर-गुलाल और रंग के ऐसे गुबार उड़े कि मंदिर की आभा सतरंगी दिखने लगी। मंदिर प्रांगण रंग बिरंगे रंग-गुलाल और फूलों से अट गया। बांके बिहारी का प्रांगण इन रंगों से सराबोर हो गया।
शुक्रवार को रंगभरनी एकादशी पर जनजन के आराध्य ठाकुर बांके बिहारी महाराज ने भक्तों संग होली खेली। मंदिर के पट खुलते ही जन समुद्र मंदिर प्रांगण में जयकारे लगाते हुए प्रवेश कर गया। सेवायतों ने सर्व प्रथम रजत सिंहासन पर स्वेत पोशाक धारण कर विराजमान ठाकुरजी पर स्वर्ण पिचकारी से केसर निर्मित सुगंधित रंग को डालकर वृंदावन में परंपरागत होली का शुभारंभ किया।
इसके बाद मंदिर प्रांगण में अबीर-गुलाल और फूलों की होली की होली हुई इसका देश विदेश से आए श्रद्धालुओं ने आनंद लिया। टेसू के फूलों, केसर के रंगों से निर्मित प्राकृतिक रंगों को पिचकारियों में भरकर मंदिर सेवायतों के द्वारा श्रद्घालुओं पर वर्षा की गई। रंग और गुलाल में सराबोर हो भक्तों की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। प्रसादी रंग और गुलाल डलवाकर भक्त कृतार्थ हुए।
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