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आगरा में दिखती है उत्तराखंडी होली की झलक
– फोटो : अमर उजाला
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उत्तर प्रदेश के आगरा में उत्तराखंडी होली की भी झलक दिखती है। यहां गांव छूटा है पर वहां की परंपरा नहीं छूटी। आज भी टोलियां बनाकर ढोलक, मंजीरों के साथ होली के गीत बेड़ू पाको बारो मासा… गाते हुए उत्तराखंड के लोग आगरा में होली मनाते हैं। अपने उत्तराखंड भाइयों के घर जाकर होली की बधाइयां देकर खुशियां साझा करते हैं।
उत्तराखखंड के रहने वाले अरुण नवानी ने बताया कि कई सालों से हम आगरा में ही उत्तराखंड की तरह होली मना लेते हैं। टोलियां बनाकर ढोलक के साथ राजपुरचुंगी,आवास-विकास अपने उत्तराखंडी भाइयों के घर जाकर होली की बधाइयां देते हैं। हालांकि जैसी होली हम अपने गांव में मनाते थे, वैसी शहर में नहीं मना पाते। पर, हम लोग ब्रज की होली व उत्तराखंड की होली एक साथ मना लेते हैं।
पकवान बनाकर मना लेते हैं त्योहार
अलका रावत ने बताया कि आगरा में 32 साल से परिवार के साथ रह रही हूं। एक बार भी उत्तराखंड स्थित अपने गांव नहीं जा पाई. लेकिन आगरा में हीं रह कर होली वाले दिन उत्तराखंड में बनने वाले पकवान बनाकर अपना त्योहार मना लेती हूं। मुझे याद है कि बचपन में हम बच्चे होली से एक हफ्ते पहले ही टोलियां बना कर घर-घर जाते थे और बदले में परिवार हम लोगों को कोई अनाज कोई पैसा देता था। एक हफ्ते बाद उन पैसों से प्रसाद का बना कर बांटते थे।
मेहल की टहनी आंगन में रखते
सुमन नवानी ने बताया कि हम लोग होली से एक हफ्ते पहले मेहल के वृक्ष की टहनी को काटकर आंगन में रखते हैं। उसको रंगीन कागजों से उसको सजाते हैं। शाम को गीत गाकर बच्चे, बड़े बूढ़े गाना गाकर परिक्रमा लगाते हैं और होली वाले दिन उसी मेहल की टहनी को ही होलिका दहन के रूप में जलाते हैं।
मीठा भात और बनाते हैं कापा
दीप्ति नवानी ने बताया कि होली पर हम लोग रोटन, अरसे, आलू गुटुक, डबके, मीठा भात, कापा आदि बनाते हैं। इसके अलावा हम लोग आगरा में होली पर बनने वाले गुझिया, पापड़ भी बनाते हैं। हम लोग उत्तराखंड और आगरा दोनों तरह की होली मनाते हैं।
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