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डेमो पिक: एचआईवी संक्रमित
– फोटो : Getty
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एटा मेडिकल कॉलेज में एचआईवी संक्रमित बच्ची को इंजेक्शन लगाने के बाद उसी सिरिंज से अन्य बच्चों को इंजेक्शन लगाने का आरोप है। चार बच्चों को एचआईवी बचाव की दवा एक महीने तक खिलाने के लिए दी गई है। एक बच्ची की मां ने प्रधानमंत्री को पत्र भेजा है। समाज द्वारा परिवार का बहिष्कार करने की बात कही है। मामले के दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। वहीं दूसरे बच्चे की मां ने चिकित्सक व स्टाफ नर्स पर रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग की है।
शुक्रवार को प्रधानमंत्री को भेजे गए प्रार्थना पत्र में बच्ची की मां ने गुहार लगाई है। प्रार्थना पत्र में उसका कहना है कि बच्ची की उम्र 7 वर्ष है। बीमारी की हालत में उसे 20 फरवरी को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था। वहां नर्सों ने एक ही सिरिंज से सभी बच्चों को दवा लगाई। जब इसका विरोध किया तो स्टाफ द्वारा बोला गया कि सिरिंज की नियमित सफाई की जाती है। इसके बाद वार्ड में भर्ती एक बच्ची एचआईवी से संक्रमित निकली। इससे वार्ड में भर्ती अन्य चार बच्चों पर एचआईवी का खतरा मंडरा रहा है।
बच्ची की मां ने कहा कि बेटी की तबीयत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। उधर, समाज ने हमारा बहिष्कार कर दिया है। अब मैं हर जगह से निराश हो चुकी हूं। प्रधानमंत्री से आखिरी उम्मीद बची है। दोषियों पर कार्रवाई की जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो सपरिवार आत्महत्या का रास्ता बचा है।
वहीं सदर तहसील क्षेत्र निवासी एक बच्चे की मां ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि सिरिंज का विरोध किया तो चिकित्सक द्वारा बच्चे को एचआईवी से बचाव के लिए दवा दे दी। बच्चे की मां ने प्रधानमंत्री से सक्षम अधिकारी को निर्देशित कर चिकित्सक व नर्स पर रिपोर्ट दर्ज करा कार्रवाई की मांग की है।
मेडिकल कॉलेज के मीडिया प्रभारी डॉ. विवेक पाराशर ने बताया कि प्राथमिक जांच के बाद शासन में रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। वहीं एक मजिस्ट्रीयल जांच जिलाधिकारी के आदेश पर की जा रही है। जैसे निर्देश मिलेंगे, कार्रवाई की जाएगी।
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