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अस्पताल के बाहर खड़े परिजन
– फोटो : अमर उजाला
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फिरोजाबाद के स्वशासीय मेडिकल कॉलेज में मानवीय संवेदनाएं उस समय तार-तार हो गईं, जब एचआईवी पॉजिटिव प्रसूता छह घंटे से ज्यादा स्ट्रेचर पर प्रसव पीड़ा से कराहती रही। मगर, स्टाफ ने प्रसव कराना तो दूर छह घंटों तक उसको छूआ तक नहीं। बुधवार रात की शिफ्ट में बदली ड्यूटी में एक आया ने उसका प्रसव कराया। प्रसव में हुई देरी के कारण नवजात शिशु की हालत बिगड़ गई। सोमवार को सुबह नवजात शिशु ने दम तोड़ दिया। बच्चे की मौत और अस्पताल प्रशासन के इस व्यवहार पर परिजनों ने हंगामा किया।
ये है मामला
कबरला में रहने वाली एक महिला की एचआईवी की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। जब गर्भ के नौ माह पूरे होने पर प्रसव पीड़ा उठी, तो परिजन महिला को मेडिकल कॉलेज के सौ शैय्या अस्पताल में रविवार को दोपहर तीन बजे ले गए। अस्पताल स्टाफ ने महिला की फाइल में एचआईवी पॉजिटिव रिपोर्ट देखी तो न कोई डॉक्टर हाथ लगाने को तैयार हुआ और न ही कोई स्टाफ नर्स ही महिला का प्रसव कराने को तैयार हुई। स्ट्रेचर पर लेटे ही प्रसूता घंटों तक दर्द के कारण तड़पती रही। आरोप है कि परिजनों ने स्टाफ को प्रसव कराने के लिए मिन्नतें की, मगर स्टाफ परिजनों से भी अभद्रता करने लगा।
इस दौरान एचआईवी पॉजिटिव मरीजों को चिन्हांकित करने वाली एनजीओ आहाना परियोजना की सरिता यादव ने स्वास्थ्य अधिकारियों को अवगत कराया। रात आठ बजे के बाद स्टाफ की ड्यूटी बदली। उस ड्यूटी में एक स्टाफ नर्स और आया ने रात नौ बजे उस महिला का प्रसव कराया। प्रसव में घंटों हुई देरी के कारण महिला ने जिस नवजात शिशु को जन्म दिया उसकी हालत तुरंत ही बिगड़ गई। उसे एसएनसीयू में तुरंत भर्ती कराया गया। मगर, सोमवार को सुबह नवजात शिशु की मौत हो गई। परिजनों ने इस लापरवाही के विरोध में हंगामा किया। नवजात शिशु का शव लेने से इंकार कर दिया और लापरवाह चिकित्सक एवं स्टाफ पर कार्रवाई की मांग को लेकर अड़े रहे। लोगों के समझाने पर परिजन दोपहर बाद नवजात शिशु का शव को लेकर घर चले गए।
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प्रसव करा दिया, मगर टांके नहीं लगाए
परिजनों ने बताया कि रात में एचआईवी पॉजिटिव महिला का प्रसव तो करा दिया। मगर टांके नहीं लगाए। एचआईवी पॉजिटिव महिला के परिजनों को ही ट्यूब दे दिया। सौ शैय्या अस्पताल में समुचित उपचार न मिल पाने के कारण महिला तड़पती रही।
महिला पर संकट ही संकट
परिजनों का आरोप है कि महिला की शादी मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में हुई है। चूंकि पति मारपीट करता था, इसलिए महिला को मायका पक्ष अपने घर ले आया। डिलीवरी में ही घंटों महिला तड़पती रही। घंटों पीड़ा के बाद जन्मे नवजात ने भी दम तोड़ दिया।
मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूती रोग की विभागाध्यक्ष डॉ. प्रेरणा उपाध्याय ने बताया कि एचआईवी पॉजिटिव महिला का पहला बच्चा था, इसलिए डिलीवरी कराने में देरी हो भी सकती है या नहीं। दोपहर तीन बजे से रात नौ बजे डिलीवरी क्यों कराई, हम इसकी जांच करा रहे हैं। जरूरी नहीं की नॉर्मल डिलीवरी में हर महिला के प्राइवेट पार्ट में टांके लगाए जाएं, यह जरूरत पर निर्भर करता है। हम मामले की जांच करा रहे हैं।
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