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योगेंद्र उपाध्याय
– फोटो : अमर उजाला
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प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय सोमवार को मीडिया के सामने आए तो अपनी ही बातों में उलझ गए। उन्होंने सवाल उठाया कि जिन्हें जेल भेजा गया, उन्हें किस नियम और कानून के तहत उसी जगह पर दोबारा बसा दिया गया। कब्जा तो पुलिस ने कराया है। पता चलने पर बेटे से इसकी जांच कराई थी।
मंत्री ने कहा कि जमीन के मालिक नेमचंद जैन हैं। इस पर सवाल पूछा गया कि नेमचंद जैन कौन हैं? उन्होंने बताया कि परिचित हैं। उन्होंने ही गेट पर उनका नाम (मंत्री योगेंद्र उपाध्याय) लिख दिया था। जमीन पर अवैध कब्जे का पता चलने पर बेटे को जांच करने भेजा था। मालिक ने शिकायत की थी कि जमीन पर शराब बेची जाती है। चौकीदार बदलने के बाद भी लोग आते हैं। दरवाजा खटखटाते हैं। बेटे को भेजकर वास्तविकता पता करने के लिए कहा था। उनसे सवाल किया गया कि क्या हर मामले में बेटे को ही जांच करने भेजते हैं। इस पर उनके पास कोई जवाब नहीं था।
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2004 में समझौता, नहीं कराया बैनामा
मंत्री ने प्रेसवार्ता में एक समझौता पत्र का हवाला दिया। कहा कि 2004 में समझौता हुआ था। इसमें उनका भी नाम था। मगर, इस पर अमल नहीं हुआ। जमीन का बैनामा नहीं कराया गया। एक साल में समझौता पत्र निरस्त हो गया।
सैफई के परिवार के व्यक्ति का खेल
उन्होंने बताया कि नेमचंद जैन ने रवि कुशवाह को चौकीदार के रूप में रखा था। उसकी नीयत में खोट था। इसलिए वो सैफई परिवार के एक व्यक्ति से मिल गया। रवि कुशवाह को रुपयों का लालच दे दिया। अब पर्दे के पीछे से खेल खेल रहा है। कुछ भाजपा नेता भी इसमें शामिल हैं। एक भाजपा नेता ने मीडिया के सामने अपना बयान भी दिया था।
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