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ताजगंज क्षेत्र
– फोटो : अमर उजाला
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ताजमहल के 500 मीटर के दायरे में व्यापार बंद करने और 2001 में पश्चिमी गेट से विस्थापित 71 दुकानदारों को सुविधाएं नहीं मिलने के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाओं पर सुनवाई नौ नवंबर को होगी। ताजगंज वेलफेयर फाउडेंशन की याचिका में 26 सितंबर के आदेश के अनुपालन में एडीए द्वारा व्यापारियों को दिए व्यावसायिक गतिविधियां बंद करने के नोटिसों का विरोध है। ताज पश्चिमी गेट मार्केट एसोसिएशन की याचिका में केंद्र सरकार से धन मिलने के बाद भी पूर्व में विस्थापित दुकानदारों के लिए सुविधाएं नहीं विकसित करने के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका 13381/1984 एमसी मेहता बनाम यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य में 26 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल की दीवार से 500 मीटर के दायरे में सभी प्रकार की व्यापारिक गतिविधियां बंद करने के आदेश आगरा विकास प्राधिकरण को दिए थे। जिसके अनुपालन में एडीए ने प्रतिबंधित परिधि का सर्वे कराया। परिधि में शामिल होटल, रेस्टोरेंट, हैंडलूम सहित गतिविधियां चिह्नित की गई हैं। जिन्हें 17 जनवरी तक काम बंद करना है। एडीए के इस आदेश के विरुद्ध आदेश से प्रभावित व्यापारियों ने ताजगंज वेलफेयर फाउडेंशन के नाम से नई याचिका दाखिल की है। जिस पर सात नवंबर को सुनवाई होनी थी।
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इस याचिका में ही ताज पश्चिमी गेट मार्केट एसोसिएशन की दूसरी याचिका 487/2009 भी शामिल है। जिसमें 21 साल पहले पश्चिमी गेट से विस्थापित हुए 71 दुकानदारों के लिए सुविधाएं विकसित नहीं करने की बात कही गई है। इन्हें भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2001 में एडीए ने विस्थापित किया था। 600 मीटर दूर पश्चिमी गेट पार्किंग के पास जगह दी गई। याचिकाकर्ता अमर सिंह राठौर का कहना है कि 2007 में तत्कालीन केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री अंबिका सोनी यहां आई थीं। उन्होंने दुकानदारों के लिए मार्केट बनाने व टॉयलेट, पेयजल व अन्य व्यवस्थाओं के लिए 4.50 करोड़ रुपया विकास प्राधिकरण को दिलाया था, लेकिन 15 साल से एडीए ने 4.50 करोड़ रुपया खर्च नहीं किया है।
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