[ad_1]
ख़बर सुनें
सोरोंजी। मेला मार्गशीर्ष महोत्सव के अवसर पर नगरपालिका द्वारा मेला पंडाल में भव्य अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन कराया गया। कवियों ने एक से बढ़कर एक कविता सुना कर समां बांधा। डॉ. शैलजा दुबे ने काव्यपाठ किया, जुड़ गया संबंध उनसे स्वांस जीवन सा, वो अधर हैं कृष्णजी के, बांसुरी हूँ मैं, व्यंग्यकार तेज नारायण शर्मा ने काव्य पाठ किया कि सड़क रास्ते जाम कराकर, जलवा अपने नाम कराकर, सभी मसीहा लौट चुके हैं, शहर में कत्लेआम कराकर। कवि विष्णु सक्सेना की कविताओं का खूब सराहा गया।
कवि सम्मेलन का शुभारंभ नगर पालिका अध्यक्ष मुन्नी देवी ने मां शारदे के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम में श्रोताओं ने कविताओं का जमकर लुत्फ उठाया। कवि मोहित सक्सेना ने पंक्तियां पढ़ीं मासूम बेटी इस तरह खाती है धोखे प्यार में, बेच दी जाती है अस्मत हवस के बाजार में। कवि मनोज मधुवन ने काव्य पाठ किया सोरों शूकर क्षेत्र की पुण्य धरा को प्रणाम, जन्मे थे तुलसी यहां जिनके प्रभु श्री राम। शृंगार के श्रेष्ठ कवि डॉ. विष्णु सक्सेना ने काव्य पाठ किया कि जमीन जल रही है फिर भी चल रहा हूँ मैं, खिजां का वक्त है और फूल फल रहा हूँ मैं, हर तरफ आंधियां हैं नफरतों की, मैं फिर भी, दिया हूँ प्यार का हिम्मत से जल रहा हूँ। कवि अजय अंजाम, डॉ. रुचि चतुर्वेदी, गयाप्रसाद मौर्य रजत ने भी काव्य पाठ किया। संचालन कवि कुशल कुशवाहा ने किया। देर रात तक चले कवि सम्मेलन के दौरान ईओ मुकेश कुमार, जेई सतेंद्र सिंह, जयप्रकाश दुबे, कमाल हसन रहमानी, संजय दुबे, विवेक महेरे, आदित्येंद्र दुबे, अभिषेक वशिष्ठ, अरविंद दुबे, नंदकिशोर तिवारी, नीतू सिंह, आशुतोष त्रिवेदी आदि श्रोता शामिल रहे।
सोरोंजी। मेला मार्गशीर्ष महोत्सव के अवसर पर नगरपालिका द्वारा मेला पंडाल में भव्य अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन कराया गया। कवियों ने एक से बढ़कर एक कविता सुना कर समां बांधा। डॉ. शैलजा दुबे ने काव्यपाठ किया, जुड़ गया संबंध उनसे स्वांस जीवन सा, वो अधर हैं कृष्णजी के, बांसुरी हूँ मैं, व्यंग्यकार तेज नारायण शर्मा ने काव्य पाठ किया कि सड़क रास्ते जाम कराकर, जलवा अपने नाम कराकर, सभी मसीहा लौट चुके हैं, शहर में कत्लेआम कराकर। कवि विष्णु सक्सेना की कविताओं का खूब सराहा गया।
कवि सम्मेलन का शुभारंभ नगर पालिका अध्यक्ष मुन्नी देवी ने मां शारदे के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम में श्रोताओं ने कविताओं का जमकर लुत्फ उठाया। कवि मोहित सक्सेना ने पंक्तियां पढ़ीं मासूम बेटी इस तरह खाती है धोखे प्यार में, बेच दी जाती है अस्मत हवस के बाजार में। कवि मनोज मधुवन ने काव्य पाठ किया सोरों शूकर क्षेत्र की पुण्य धरा को प्रणाम, जन्मे थे तुलसी यहां जिनके प्रभु श्री राम। शृंगार के श्रेष्ठ कवि डॉ. विष्णु सक्सेना ने काव्य पाठ किया कि जमीन जल रही है फिर भी चल रहा हूँ मैं, खिजां का वक्त है और फूल फल रहा हूँ मैं, हर तरफ आंधियां हैं नफरतों की, मैं फिर भी, दिया हूँ प्यार का हिम्मत से जल रहा हूँ। कवि अजय अंजाम, डॉ. रुचि चतुर्वेदी, गयाप्रसाद मौर्य रजत ने भी काव्य पाठ किया। संचालन कवि कुशल कुशवाहा ने किया। देर रात तक चले कवि सम्मेलन के दौरान ईओ मुकेश कुमार, जेई सतेंद्र सिंह, जयप्रकाश दुबे, कमाल हसन रहमानी, संजय दुबे, विवेक महेरे, आदित्येंद्र दुबे, अभिषेक वशिष्ठ, अरविंद दुबे, नंदकिशोर तिवारी, नीतू सिंह, आशुतोष त्रिवेदी आदि श्रोता शामिल रहे।
[ad_2]
Source link