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कासगंज। मध्याहन भोजन योजना में बजट की कमी शिक्षकों की मुसीबत बन गई है। 15 माह से बच्चों के फलों के वितरण के लिए बजट नहीं मिला है। इसके चलते गुरुजी बच्चों को फल खिलाने में अब तक लगभग तीन करोड़ रुपये खर्च कर चुके हैं।
शासन से परिषदीय, शासकीय सहायता प्राप्त, माध्यमिक शिक्षा परिषद के राजकीय एवं सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए मध्याहन भोजन योजना का संचालन किया जा रहा है। इन विद्यालयों में लगभग 1.77 लाख बच्चे शिक्षारत हैं। मध्याहन भोजन के तहत सप्ताह में एक दिन फल बांटना होता है। एक माह के लिए 16 रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से धन दिया जाता है। विद्यालयों में 70 प्रतिशत उपस्थिति मानकर धन खाते में भेजे जाने का प्रावधान है। औसतन 1.24 लाख बच्चों के लिए फल का बजट प्रत्येक माह दिया जाता है।
मध्याहन भोजन योजना के तहत कन्वर्जन कॉस्ट का बजट तो समय समय पर मिल जाता है, लेकिन फल का बजट अगस्त 2021 से नहीं मिला है। बजट न मिल पाने से स्कूलों के खाते में धन नहीं भेजा जा सका है, जिससे शिक्षकों की मुसीबत बढ़ गई है। उन्हें अपनी जेब से पैसा लगाकर बच्चों को फल बांटने पड़ रहे है। जिससे शिक्षकों को अपने वेतन का बड़ा हिस्सा प्रतिमाह बच्चों को फल बांटने में खर्च करना पड़ रहा है। अब तक जिले के शिक्षक लगभग 3 करोड़ रुपये अपनी जेब से खर्च कर चुके हैं।
मध्याहन भोजन में फल वितरण के लिए अगस्त 2021 से धन नहीं आया है। अपने वेतन से प्रतिमाह फलों को खरीदकर बच्चों को खिलाने पड़ रहे हैं। – देवेंद्र यादव, जिला अध्यक्ष जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ
विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के लिए फलों का वितरण करने के लिए अपनी जेब से प्रतिमाह धन खर्च करना पड़ता है। शासन से योजना के लिए बजट समय से नहीं दिया जाता। 15 माह से धन नहीं मिला है। – मुनेश राजपूत, महामंत्री प्राथमिक शिक्षक संघ
एमडीएम के तहत फल वितरण के लिए कुछ दिन पहले जो बजट मिला था उसमें से कुछ विद्यालयों को धन भेज दिया था। अभी भी योजना के तहत धन भेजने के लिए काफी धन चाहिए। – गौरव सक्सेना, जिला समन्व्यक मध्याहन भोजन योजना
कासगंज। मध्याहन भोजन योजना में बजट की कमी शिक्षकों की मुसीबत बन गई है। 15 माह से बच्चों के फलों के वितरण के लिए बजट नहीं मिला है। इसके चलते गुरुजी बच्चों को फल खिलाने में अब तक लगभग तीन करोड़ रुपये खर्च कर चुके हैं।
शासन से परिषदीय, शासकीय सहायता प्राप्त, माध्यमिक शिक्षा परिषद के राजकीय एवं सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए मध्याहन भोजन योजना का संचालन किया जा रहा है। इन विद्यालयों में लगभग 1.77 लाख बच्चे शिक्षारत हैं। मध्याहन भोजन के तहत सप्ताह में एक दिन फल बांटना होता है। एक माह के लिए 16 रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से धन दिया जाता है। विद्यालयों में 70 प्रतिशत उपस्थिति मानकर धन खाते में भेजे जाने का प्रावधान है। औसतन 1.24 लाख बच्चों के लिए फल का बजट प्रत्येक माह दिया जाता है।
मध्याहन भोजन योजना के तहत कन्वर्जन कॉस्ट का बजट तो समय समय पर मिल जाता है, लेकिन फल का बजट अगस्त 2021 से नहीं मिला है। बजट न मिल पाने से स्कूलों के खाते में धन नहीं भेजा जा सका है, जिससे शिक्षकों की मुसीबत बढ़ गई है। उन्हें अपनी जेब से पैसा लगाकर बच्चों को फल बांटने पड़ रहे है। जिससे शिक्षकों को अपने वेतन का बड़ा हिस्सा प्रतिमाह बच्चों को फल बांटने में खर्च करना पड़ रहा है। अब तक जिले के शिक्षक लगभग 3 करोड़ रुपये अपनी जेब से खर्च कर चुके हैं।
मध्याहन भोजन में फल वितरण के लिए अगस्त 2021 से धन नहीं आया है। अपने वेतन से प्रतिमाह फलों को खरीदकर बच्चों को खिलाने पड़ रहे हैं। – देवेंद्र यादव, जिला अध्यक्ष जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ
विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के लिए फलों का वितरण करने के लिए अपनी जेब से प्रतिमाह धन खर्च करना पड़ता है। शासन से योजना के लिए बजट समय से नहीं दिया जाता। 15 माह से धन नहीं मिला है। – मुनेश राजपूत, महामंत्री प्राथमिक शिक्षक संघ
एमडीएम के तहत फल वितरण के लिए कुछ दिन पहले जो बजट मिला था उसमें से कुछ विद्यालयों को धन भेज दिया था। अभी भी योजना के तहत धन भेजने के लिए काफी धन चाहिए। – गौरव सक्सेना, जिला समन्व्यक मध्याहन भोजन योजना
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