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Guru Teg Bahadur Shaheedi Diwas: गुरु तेग बहादुर का शहादत दिवस 28 नवंबर को मनाया जा रहा है। सिखों के दस गुरुओं में से नौवें गुरु तेग बहादुर जी का आगरा से गहरा नाता है। गुरु तेग बहादुर ने आगरा के गुरुद्वारा गुरु का ताल से ही गिरफ्तारी दी थी। गुरु तेग बहादुर जी उस समय धार्मिक स्वतंत्रता के समर्थक थे, जब लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन किया जा रहा था।
गुरु तेग बहादुर से जुड़ी हर वस्तु को रखा गया है संभालकर
आगरा के ककरैठा स्थित ताल में गुरु तेग बहादुर ने डेरा डाला था, यहीं पर उन्हें नौ दिनों तक नजरबंद रखा था। उनको गिरफ्तार कर यहां से दिल्ली ले जाया गया जहां उन्हें शहीद कर दिया गया। इस ताल का नाम गुरु का ताल पड़ा और बाद में गुरुद्वारा बनाया गया। यहां गुरु तेग बहादुर से जुड़ी हर वस्तु को अब भी संभाल कर रखा गया है।
गुरुद्वारा गुरु का ताल के सेवक गुरनाम सिंह ने बताया कि जब औरंगजेब ने श्रीगुरु तेग बहादुरजी की गिरफ्तारी का फरमान जारी किया। तब श्रीगुरु ने खुद औरंगजेब के पास जाने का निश्चय किया और आनंदपुर साहिब से चल दिए।
आगरा में जस्सी माई (माईथान में) से मिलने के बाद श्रीगुरु तेग बहादुर ने शहर के बाहर सिकंदरा के पास ककरैठा गांव में बने ताल (उस समय बादशाही बगीची) में डेरा डाला था। औरंगजेब ने यहां उन्हें नजरबंद कर नौ दिन तक रखा था। यहां के कुएं का पानी खारा था।
गुरुद्वारा गुरु का ताल के सेवक गुरनाम सिंह ने बताया कि गुरुजी के आशीर्वाद से कुएं का पानी मीठा हो गया, जो आज भी मीठा है। यहां वर्षों पुराना बरगद का पेड़ भी है। औरंगजेब के 12 हजार सिपाही यहां से गुरुजी को गिरफ्तार कर दिल्ली ले गए थे।
गुरुद्वारा गुरु का ताल के संरक्षक बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि जब श्रीगुरु तेग बहादुरजी इस स्थान पर नजरबंद किए गए थे, तब यहां छोटी सी बारादरी थी। उनकी गिरफ्तारी के बाद ककरैठा के लोग अक्सर यहां आकर अरदास करते थे। सन 1971 में संत बाबा निरंजन सिंह महाराष्ट्र से आगरा आए और सभी संगतों से निवेदन कर गुरुद्वारे की आसपास की जगहों को खरीदा। अब 18 एकड़ में यह गुरुद्वारा बसा है। पूरे उत्तर प्रदेश में अकेला गुरुद्वारा है, जिसमें 24 घंटे लंगर चलता है। यहां लोगों की सेवा के लिए 500 लोग रहते हैं।
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