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मैनपुरी। जिला अस्पताल में मृत अवस्था में आने वाले लोगों के शव घर पहुंचाने के लिए वर्षों से शव वाहन का प्रयोग किया जा रहा था। मृतकों के परिजन को मिलने वाली यह सहूलियत मौजूदा सीएमएस ने बंद कर दी है। अब शव वाहन सिर्फ जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मरने वालों को ही दिया जाएगा। बदली व्यवस्था से मृत अवस्था में अस्पताल आने वालों के परिजन को परेशानी उठानी पड़ रही है।
जिला अस्पताल में मरने वाले और मृत अवस्था में आने वाले लोगों के शवों को घर तक पहुंचाने के लिए शव वाहन की व्यवस्था की गई थी। पिछले कई सालों से जिला अस्पताल में उपचार के दौरान मरने वाले लोगों और मृत अवस्था में आने वाले लोगों के शव घरों तक निशुल्क पहुंचाए जा रहे थे। मौजूदा सीएमएस मदनलाल ने इस व्यवस्था में परिवर्तन किया है। सीएमएस ने इमरजेंसी स्टाफ को निर्देश हैं कि केवल जिला अस्पताल में उपचार के दौरान मरने वाले लोगों के शवों के लिए ही शव वाहन उपलब्ध कराया जाए। यदि किसी व्यक्ति को मृत अवस्था में अस्पताल लाया जाए तो, उसके लिए शव वाहन उपलब्ध न कराया जाए। सीएमएस के इस आदेश के बाद जिले के लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। जिला अस्पताल आने वाले मरीज की यदि अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो जाती है, तो उसके शव के लिए शव वाहन नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में लोगों को मजबूरी में घर तक शव पहुंचाने के लिए हजारों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।
बृहस्पतिवार को दन्नाहार थाना क्षेत्र के गांव उझैया फकीरपुर निवासी सतीश चंद्र की बृहस्पतिवार को जिला अस्पताल पहुंचने से पहले मौत हो गई। परिजन जिला अस्पताल में शव वाहन की मांग करते रहे, लेकिन नहीं मिला। बाद में परिजन निजी एंबुलेंस से शव को अपने घर ले गए। निजी एंबुलेंस चालक ने उनसे दो हजार रुपये वसूले। परिगवां निवासी भारती देवी की भी बृहस्पतिवार को जिला अस्पताल में उपचार शुरू होने से पहले मौत हो गई। उनके लिए भी शव वाहन नहीं मिला परिजन प्राइवेट एंबुलेंस से शव को घर ले गए।
जिला अस्पताल से मृतक के शव के लिए शव वाहन न मिलने से निजी एंबुलेंस संचालकों की मनमानी बढ़ गई है। जिला अस्पताल के बाहर बड़ी संख्या में निजी एंबुलेंस खड़ी होती हैं। जिला अस्पताल में शव वाहन न मिलने पर जब लोग इन एंबुलेंस चालकों से बात करते हैं तो वे 10 से 20 किलोमीटर की दूरी के लिए दो हजार से तीन हजार रुपये वसूल रहे हैं।
भले ही सीएमएस का कहना है कि जिला अस्पताल में मरने वालों के लिए ही शव वाहन की व्यवस्था है, लेकिन पिछले दो साल में यदि जिला अस्पताल के रिकार्ड पर नजर डाली जाए तो 12 सौ से अधिक मृत अवस्था में पहुंचे लोगों के शवों को शव वाहन से घरों तक पहुंचाया गया है, आखिर दो महीने में आदेश कैसे बदल गया।
शव वाहन की व्यवस्था जिला अस्पताल में उपचार के दौरान मरने वाले मरीजों के शवों को घर तक पहुंचाने की है। इसके अतिरिक्त शवों के लिए बजट की व्यवस्था नहीं है।
डॉ. मदनलाल सीएमएस
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मैनपुरी। जिला अस्पताल में मृत अवस्था में आने वाले लोगों के शव घर पहुंचाने के लिए वर्षों से शव वाहन का प्रयोग किया जा रहा था। मृतकों के परिजन को मिलने वाली यह सहूलियत मौजूदा सीएमएस ने बंद कर दी है। अब शव वाहन सिर्फ जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मरने वालों को ही दिया जाएगा। बदली व्यवस्था से मृत अवस्था में अस्पताल आने वालों के परिजन को परेशानी उठानी पड़ रही है।
जिला अस्पताल में मरने वाले और मृत अवस्था में आने वाले लोगों के शवों को घर तक पहुंचाने के लिए शव वाहन की व्यवस्था की गई थी। पिछले कई सालों से जिला अस्पताल में उपचार के दौरान मरने वाले लोगों और मृत अवस्था में आने वाले लोगों के शव घरों तक निशुल्क पहुंचाए जा रहे थे। मौजूदा सीएमएस मदनलाल ने इस व्यवस्था में परिवर्तन किया है। सीएमएस ने इमरजेंसी स्टाफ को निर्देश हैं कि केवल जिला अस्पताल में उपचार के दौरान मरने वाले लोगों के शवों के लिए ही शव वाहन उपलब्ध कराया जाए। यदि किसी व्यक्ति को मृत अवस्था में अस्पताल लाया जाए तो, उसके लिए शव वाहन उपलब्ध न कराया जाए। सीएमएस के इस आदेश के बाद जिले के लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। जिला अस्पताल आने वाले मरीज की यदि अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो जाती है, तो उसके शव के लिए शव वाहन नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में लोगों को मजबूरी में घर तक शव पहुंचाने के लिए हजारों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।
बृहस्पतिवार को दन्नाहार थाना क्षेत्र के गांव उझैया फकीरपुर निवासी सतीश चंद्र की बृहस्पतिवार को जिला अस्पताल पहुंचने से पहले मौत हो गई। परिजन जिला अस्पताल में शव वाहन की मांग करते रहे, लेकिन नहीं मिला। बाद में परिजन निजी एंबुलेंस से शव को अपने घर ले गए। निजी एंबुलेंस चालक ने उनसे दो हजार रुपये वसूले। परिगवां निवासी भारती देवी की भी बृहस्पतिवार को जिला अस्पताल में उपचार शुरू होने से पहले मौत हो गई। उनके लिए भी शव वाहन नहीं मिला परिजन प्राइवेट एंबुलेंस से शव को घर ले गए।
जिला अस्पताल से मृतक के शव के लिए शव वाहन न मिलने से निजी एंबुलेंस संचालकों की मनमानी बढ़ गई है। जिला अस्पताल के बाहर बड़ी संख्या में निजी एंबुलेंस खड़ी होती हैं। जिला अस्पताल में शव वाहन न मिलने पर जब लोग इन एंबुलेंस चालकों से बात करते हैं तो वे 10 से 20 किलोमीटर की दूरी के लिए दो हजार से तीन हजार रुपये वसूल रहे हैं।
भले ही सीएमएस का कहना है कि जिला अस्पताल में मरने वालों के लिए ही शव वाहन की व्यवस्था है, लेकिन पिछले दो साल में यदि जिला अस्पताल के रिकार्ड पर नजर डाली जाए तो 12 सौ से अधिक मृत अवस्था में पहुंचे लोगों के शवों को शव वाहन से घरों तक पहुंचाया गया है, आखिर दो महीने में आदेश कैसे बदल गया।
शव वाहन की व्यवस्था जिला अस्पताल में उपचार के दौरान मरने वाले मरीजों के शवों को घर तक पहुंचाने की है। इसके अतिरिक्त शवों के लिए बजट की व्यवस्था नहीं है।
डॉ. मदनलाल सीएमएस
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