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पलक
– फोटो : अमर उजाला
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कोई बच्चा एक छलांग में कितनी सीढ़ियां चढ़ सकता है। एक, दो, तीन या चार….। पर, जो बिटिया कभी स्कूल नहीं गई उसका प्रवेश बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सीधे कक्षा सात में करा दिया। वो भी नेत्रहीन स्कूल में। उसकी खता सिर्फ इतनी है कि उसे 14 साल से सिर्फ एक आंख से दिखता है।
रुनकता निवासी धर्मप्रकाश पेशे से मजदूर हैं। चार बच्चे हैं। दो बड़ी लड़कियों की शादी हो चुकी है। एक लड़का प्राइवेट नौकरी करता है। सबसे छोटी बेटी 14 साल की पलक दृष्टिबाधित है। उसे एक आंख से दिखाई नहीं देता। गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय द्वितीय में वह पढ़ना चाहती थी। दो महीने स्कूल गई। कक्षा चार में बैठी।
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