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ललिता और अंशू
– फोटो : अमर उजाला
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ताजनगरी आगरा में बेपनाह मोहब्बत जब बेजुबां प्रेमी की आवाज बनी, तो जैसे खुशियों से भरा आसमां मिल गया। 15 साल पहले प्रेम की नगरी से शुरू हुई प्रेम-कहानी में तमाम बाधाओं को पार कर ललिता और अंशु एक-दूसरे के हो गए।
बल्केश्वर कॉलोनी में अपने मूकबधिर पति अंशु के साथ रह रहीं ललिता ने बताया कि अंशु बोल नहीं सकते थे। यह मुझे मालूम था। इसके बाद भी हम दोनों का एक-दूसरे के प्रति झुकाव बढ़ता जा रहा था। अंशु के लिए मेरा झुकाव इसलिए भी बढ़ रहा था कि क्योंकि अंशु को प्रकृति ने आवाज नहीं दी थी।
बताया कि मेरे मम्मी-पापा भी बोल और सुन नहीं सकते थे। अंशु से शादी करने के लिए कई लोगों ने मना किया। लेकिन, मेरा प्यार इतना कमजोर नहीं था। 13 साल पहले अग्नि को साक्षी मानकर जीवन का नया सफर शुरू करने वाली ललिता और अंशु आज सफल दंपती हैं। उनके 12 साल का बेटा प्रियांश और आठ साल की बेटी शिवान्या हैं।
वैलेंटाइन डे पर लेना चाहते थे फेरे
ललिता ने बताया कि अंशु और मेरी इच्छा वैलेंटाइन डे पर अग्नि को साक्षी मान सात फेरे लेने की थी। सन 2011 में 14 फरवरी को इसलिए शादी नहीं कर सके, क्योंकि उस दिन के लिए पहले से सभी स्थल बुक थे। इसलिए ऐसा नहीं हो सका।
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