[ad_1]
अधिवेशन में मौजूद चिकित्सक
– फोटो : अमर उजाला
ख़बर सुनें
विस्तार
खून के रिश्ते में शादी करने से जेनेटिक पूल छोटा हो रहा है। बच्चों में माता-पिता से आनुवांशिक बीमारी (मस्कुलर डिस्ट्रोफी व कंजेनाइटल मायोपैथी) बढ़ रही है। यह मांसपेशियों से जुड़ी बीमारी है। जिनका जेनेटिक पूल छोटा है, शादी से पहले उन्हें जांच (जेनेटिक टेस्टिंग) करानी चाहिए। यदि दोनों में मांसपेशियों की बीमारी वाले जीन हैं तो आपस में शादी न कराई जाए। ये बातें बांबे हॉस्पिटल, मुंबई के डीन एकेडमिक डॉ. सतीश वी. खाडिलकर ने जेपी होटल में चल रही न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के अधिवेशन में शनिवार को कही।
डॉ. सतीश ने बताया कि यह बीमारी 4000 में से एक बच्चे में पाई जाती है। मस्कुलर डिस्ट्रोफी केवल लड़कों में होती है। वह 15 से 16 वर्ष तक जीवित रह पाता है। कंजेनाइटल मायोपैथी लड़के और लड़कियों दोनों में ही होती है। यह करीब 20 वर्ष तक जिंदा रह पाते हैं। इनका कोई सटीक इलाज अभी नहीं है, काम चल रहा है। एसएन मेडिकल कॉलेज के न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. पीके माहेश्वरी ने बताया कि जेनेटिक पूल छोटा न हो इसलिए एक गोत्र में शादी करने से बचा जाता है।
अधिवेशन के आयोजन अध्यक्ष और वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. आरसी मिश्रा ने कहा कि हमारा दिमाग इतना सक्षम है कि सुपर कंप्यूटर भी उसके आगे कुछ नहीं। न्यूरो सर्जरी के क्षेत्र में नवाचार लगातार हो रहे हैं। वर्ष 2030 तक ऑपरेशन थिएटर में गैजेट्स भी बहुत बढ़ जाएंगे। अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ न्यूरोसर्जन्स के सचिव डॉ. अनिल नंदा ने कहा कि मानव मस्तिष्क पर शोध जारी है। दिमाग के ऐसे खास सर्किट होते हैं जो धार्मिक और आध्यात्मिक क्रियाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं।
116 तकनीकी सत्र, कार्यशालाएं हुईं
आयोजन सचिव व वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. अरविंद कुमार अग्रवाल ने बताया कि अधिवेशन के तीसरे दिन कई सत्रों में 116 से अधिक कार्यशालाएं, तकनीकी सत्र और शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। डॉ. नूपुर प्रूथी, डॉ. एस शशिवर्धन, डॉ. सास्वत मिश्रा, डॉ. दीपक झा, डॉ. एसके गुप्ता, डॉ. जोगी पट्टीसापू, डॉ. अनिल नंदा, डॉ. दिलीप पानीकर, डॉ. आरसी मिश्रा, हॉल बी में डॉ. ह्यूगस ड्युफाओ, डॉ. बीएस शर्मा, डॉ. अनंत मेहरोत्रा, डॉ. मनाबु किनोशिता, डॉ. वीडी सिन्हा, डॉ. वीआर रूपेश कुमार, डॉ. संदीप मोहिंदर, डॉ. आशीष सूरी, डॉ. विपुल कुमार गुप्ता, डॉ. वी राजशेखर, डॉ. सरधरा जयेश, डॉ. सतनाम छाबड़ा, डॉ. हुकुम सिंह, डॉ. सुदर्शन, डॉ. दत्ताप्रसन्ना बी. काटिकर आदि के व्याख्यान हुए।
[ad_2]
Source link