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कासगंज। कटान और बाढ़ की मार झेल रहे बरौना गांव तक फिर से गंगा के पानी ने दस्तक दे दी हैं। गंगा का जलस्तर बढ़ने पर सिंचाई विभाग के द्वारा कराए गए कटानरोधी कार्य भी प्रभावित होने लगें हैं। कटान रोकने के लिए लगाए सैंड बैग और परक्यूपाइन स्टड भी बह गए। जिससे ग्रामीणों की चिंताएं और बढ़ गई हैं। बरौना गांव के किसान जून माह से लगातार परेशान हैं और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।
अगस्त माह में कटान का संकट गांव में पैदा हुआ। इस दौरान गंगा की तेज धारा ने गांव के तमाम किसानों की जमीनों में कटान कर दिया। जिससे गांव के कई किसानों की सैंकड़ों बीघा जमीन गंगा में समा गई। सितंबर माह में गंगा का जलस्तर कम होने पर ग्रामीणों में राहत की उम्मीद बंधी थी, लेकिन यह राहत ज्यादा दिनों के लिए नहीं रह पाई। पिछले चार दिनों में फिर से गंगा का पानी गांव तक पहुंचकर कटान शुरू कर दिया। गांव निवासी भूरे के मकान को बचाने के लिए सिंचाई विभाग की तरफ से परक्यूपाइन स्टड स्थापित किए थे, इसके अलावा सैंकड़ों सैंड बैग भी लगाए गए थे। यह सैंड बैग और परक्यूपाइन स्टड गंगा के तेज बहाव में बहने लगे हैं। इसके अलावा कटान से काली मंदिर को बचाने के लिए किए गए कार्य भी प्रभावित हो चुकें हैं। पूरे गांव में जगह-जगह जलभराव के हालात हैं। साथ ही किसान परेशान हैं। इसके चलते ग्रामीणों को एक बार फिर से कटान और बाढ़ की चिंता सताने लगी है। ग्रामीण अशोक शाक्य ने बताया कि फिर से गंगा का पानी गांव तक पहुंच गया है। ऊपर से बारिश हो रही है। परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही। वहीं प्रधान प्रतिनिधि पप्पू ने बताया कि गांव में बाढ़ के हालातों से सिंचाई विभाग को अवगत कराते हुए कटानरोधी कार्यों को सही कराने की मांग उठाई गई है।
कासगंज। जिले में बहने वाली काली नदी भी इस समय बारिश के चलते उफनाई है। काली नदी का जलस्तर बढ़ने से पानी किसानों के खेतों तक पहुंच गया है। अमरपुर ढिलावली और नदरई इलाके के खेतों में काली नदी का पानी भर गया है। खेतों में पहले से ही बारिश का पानी भरा हुआ था, जो निकल नहीं पाया। इसबीच काली नदी का पानी खेतों में पहुंच गया, इससे फसलें सड़ने के कगार पर पहुंच गई हैं। काली नदी के बढ़े हुए जलस्तर का प्रकोप अमांपुर, सिढ़पुरा तक के इलाकों में हैं।
बारिश होने के कारण काली नदी का जलस्तर बढ़ा है। जिसके कारण दिक्कत हुई है। बारिश रुकने के बाद जलस्तर में कमी होने लगेगी और शीघ्र राहत मिल जाएगी।- अरूण कुमार, अधिशासी अभियंता, सिंचाई।
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कासगंज। कटान और बाढ़ की मार झेल रहे बरौना गांव तक फिर से गंगा के पानी ने दस्तक दे दी हैं। गंगा का जलस्तर बढ़ने पर सिंचाई विभाग के द्वारा कराए गए कटानरोधी कार्य भी प्रभावित होने लगें हैं। कटान रोकने के लिए लगाए सैंड बैग और परक्यूपाइन स्टड भी बह गए। जिससे ग्रामीणों की चिंताएं और बढ़ गई हैं। बरौना गांव के किसान जून माह से लगातार परेशान हैं और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।
अगस्त माह में कटान का संकट गांव में पैदा हुआ। इस दौरान गंगा की तेज धारा ने गांव के तमाम किसानों की जमीनों में कटान कर दिया। जिससे गांव के कई किसानों की सैंकड़ों बीघा जमीन गंगा में समा गई। सितंबर माह में गंगा का जलस्तर कम होने पर ग्रामीणों में राहत की उम्मीद बंधी थी, लेकिन यह राहत ज्यादा दिनों के लिए नहीं रह पाई। पिछले चार दिनों में फिर से गंगा का पानी गांव तक पहुंचकर कटान शुरू कर दिया। गांव निवासी भूरे के मकान को बचाने के लिए सिंचाई विभाग की तरफ से परक्यूपाइन स्टड स्थापित किए थे, इसके अलावा सैंकड़ों सैंड बैग भी लगाए गए थे। यह सैंड बैग और परक्यूपाइन स्टड गंगा के तेज बहाव में बहने लगे हैं। इसके अलावा कटान से काली मंदिर को बचाने के लिए किए गए कार्य भी प्रभावित हो चुकें हैं। पूरे गांव में जगह-जगह जलभराव के हालात हैं। साथ ही किसान परेशान हैं। इसके चलते ग्रामीणों को एक बार फिर से कटान और बाढ़ की चिंता सताने लगी है। ग्रामीण अशोक शाक्य ने बताया कि फिर से गंगा का पानी गांव तक पहुंच गया है। ऊपर से बारिश हो रही है। परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही। वहीं प्रधान प्रतिनिधि पप्पू ने बताया कि गांव में बाढ़ के हालातों से सिंचाई विभाग को अवगत कराते हुए कटानरोधी कार्यों को सही कराने की मांग उठाई गई है।
कासगंज। जिले में बहने वाली काली नदी भी इस समय बारिश के चलते उफनाई है। काली नदी का जलस्तर बढ़ने से पानी किसानों के खेतों तक पहुंच गया है। अमरपुर ढिलावली और नदरई इलाके के खेतों में काली नदी का पानी भर गया है। खेतों में पहले से ही बारिश का पानी भरा हुआ था, जो निकल नहीं पाया। इसबीच काली नदी का पानी खेतों में पहुंच गया, इससे फसलें सड़ने के कगार पर पहुंच गई हैं। काली नदी के बढ़े हुए जलस्तर का प्रकोप अमांपुर, सिढ़पुरा तक के इलाकों में हैं।
बारिश होने के कारण काली नदी का जलस्तर बढ़ा है। जिसके कारण दिक्कत हुई है। बारिश रुकने के बाद जलस्तर में कमी होने लगेगी और शीघ्र राहत मिल जाएगी।- अरूण कुमार, अधिशासी अभियंता, सिंचाई।
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