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जुआरियों, शराबियों का अड्डा बन गया स्मारक
गांधी को पेट दर्द की समस्या थी। वह यमुना किनारे एत्माद्दौला की बगीची के कुएं का पानी पीने के लिए आगरा आए थे। स्वास्थ्य लाभ के लिए वह 11-21 सितंबर, 1929 को यहां रहे। जिस चबूतरे पर गांधी जी भजन गाया करते थे वहां अब शराबियों और जुआरियों का जमावड़ा लगा रहता है। एत्माद्दौला स्मारक से सटे बापू के स्मारक तक जाने के लिए बेहद संकरी गली है, जहां आवारा पशुओं और शराबियों के बीच से होकर निकलना पड़ता है। गंदगी और घास के कारण स्मारक में बैठना दूभर है।
1948 में बगीची को बनाया बापू का स्मारक
गांधी स्मारक में लगी पट्टिका के अनुसार गांधीजी ने बृजमोहन दास मेहरा की बगीची में कस्तूरबा गांधी, आचार्य कृपलानी, मीरा बहन और प्रभावती के साथ प्रवास किया था। वर्ष 1948 में बृजमोहन दास मेहरा ने अपने पिता राम कृष्ण दास मेहरा की स्मृति में बगीची को महात्मा गांधी स्मारक ट्रस्ट को दान कर दिया। यहां वर्ष 1955 में महात्मा गांधी की जयंती पर म्यूनिसिपल महिला आयुर्वेदिक औषधालय और मातृत्व शिशु कल्याण केंद्र खोले गए थे।
बापू ने कहा-बुरा न देखो, अफसरों ने स्मारक देखना ही छोड़ दिया
बैंक से सेवानिवृत्त जगदीश यादव गांधी स्मारक के पास में ही रहते हैं। पिछले डेढ़ दशक से स्मारक की देखभाल कर रहे हैं। प्रशासन के उदासीन रवैये के कारण स्मारक की बदहाली से वह दुखी हैं।
लिखित में भी की शिकायत
उन्होंने बताया कि यहां पर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है। लिखित में शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। बापू ने कहा कि बुरा मत देखो, पर अफसरों ने तो स्मारक को देखना, सहेजना ही छोड़ दिया।
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