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मरीज को परामर्श देते डॉ. लाल बहादुर शर्मा
– फोटो : अमर उजाला
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अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से अमर उजाला कार्यालय सिकंदरा पर बुधवार को लगे शिविर में 33 मरीजों की जांच हुई। इनमें सात में मधुमेह के मरीज रहे, 18 ने सांस फूलने की परेशानी बताई। इनमें से अधिकांश पोस्ट कोविड मरीज रहे। यूके के डॉ. लाल बहादुर शर्मा ने दवाएं लिखीं और टेलीमेडिसिन की सुविधा के लिए फोन नंबर भी दिया।
शिविर में ईसीजी, मधुमेह की जांच, रक्तचाप की जांच निशुल्क की गई। कोरोना वायरस के दुष्प्रभावों की भी जांच की। मरीजों ने डॉक्टर को बताया कि बीते साल संक्रमित हुए थे और आईसीयू में रहे। इसके बाद अभी कमजोरी है, सांस फूल रही है। बार-बार खांसी हो जाती है। कोविड के बाद मधुमेह के भी शिकार हो गए। मरीजों को वजन कम करने, व्यायाम करने और पौष्टिक आहार लेने पर जोर दिया।
बूस्टर डोज लगवाएं, छाती का करें व्यायाम
डॉ. लाल बहादुर शर्मा ने बताया कि लोगों में कोविड के दुष्प्रभाव साल-डेढ़ साल बाद भी बने हुए हैं। सबसे ज्यादा सांस और छाती संबंधी परेशानी है। फेफड़ों में जल्द संक्रमण होना, खांसी-बुखार होना, मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी जैसी परेशानी हैं। ऐसे में लोग सबसे पहले बूस्टर डोज जरूर लगवा लें। सांस और छाती का नियमित व्यायाम करें।
बढ़ता वजन, कम होती प्रतिरोधक क्षमता चिंता का विषय है। इससे मधुमेह, हायपरटेंशन, कॉलेस्ट्राल, हृदयाघात का खतरा अधिक है। वजन नियंत्रित करने के लिए तेजी से टहलना, योग की आदत डालें। दाल, हरी तरकारी और भरपूर पानी पीएं। खास बात सात घंटे से कम नींद मानसिक और शारीरिक बीमारियों के लिए खतरनाक है।
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