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मैनपुरी। विकास खंड किशनी की ग्राम पंचायत कमलनेर में प्रधान और सचिव ने मिलकर लाइटों के नाम पर फर्जीवाड़ा किया था। ये बात अब जांच रिपोर्ट में भी साबित हो गई है। अमर उजाला ने इस पूरे फर्जीवाड़े को उजागर किया था। इसके बाद मुख्य विकास अधिकारी विनोद कुमार ने जांच के आदेश दिए थे।
ग्राम पंचायतों में एक साल पहले शासन ने लाइटें लगाने पर लगी रोक को हटा दिया था। इसके बाद जिले की दर्जनों ग्राम पंचायतों में प्रधान और सचिवों ने लाइटें लगवाईं। लेकिन शासन द्वारा जारी आदेश को ताक पर रख दिया। दरअसल शासन ने कुल 13 नामी कंपनियों से ही लाइटें खरीदने के स्पष्ट आदेश दिए थे। लेकिन ग्राम पंचायतों ने अपनी जेबें भरने के लिए नियमों को ताक पर रख दिया। विकास खंड किशनी की ग्राम पंचायत कमलनेर में ग्राम प्रधान अल्का पाल और पंचायत सचिव योगेंद्र यादव ने नियम विरुद्ध जाकर अमानक लाइटें लगवाईं। ग्राम पंचायत में सन लाइट नाम की कंपनी की लाइटें लगी हुई हैं। यहां लगभग तीन लाख रुपये का भुगतान कर सरकारी धनराशि का बंदरबांट किया गया। अमर उजाला ने 11 सितंबर के अंक में इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद सीडीओ विनोद कुमार ने जांच के आदेश दिए थे। सहायक जिला पंचायत राज अधिकारी रोहित कुमार ने तीन एडीओ पंचायत के सहयोग से जांच की। जांच में ये साबित हुई कि लाइटें निर्धारित कंपनी से इतर लगवाई गई थीं, जो उचित नहीं है। इसके साथ दस लाइटों का लगभग 38 हजार रुपये फर्जी भुगतान भी किया गया। जांच रिपोर्ट आने के बाद डीपीआरओ अविनाश चंद्र ने पंचायत सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। पंचायत सचिव को 15 दिन का समय जवाब देने के लिए दिया गया है। जवाब आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
प्रधान को भी जिला मजिस्ट्रेट ने जारी किया नोटिस
कमलनेर की ग्राम प्रधान अल्का पाल को भी जांच रिपोर्ट आने के बाद जिला मजिस्ट्रेट अविनाश कृष्ण सिंह ने पंचायती राज अधिनियम के तहत नोटिस जारी किया गया। उन्होंने 15 दिन में साक्ष्य सहित जवाब प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। 15 दिन में जवाब न देने पर ये मानते हुए कि ग्राम प्रधान को अपने पक्ष में कुछ नहीं कहना है, कार्रवाई की जाएगी।
इन कंपनियों की लाइटें की गई थीं अनुमन्य
शासन ने बीते वर्ष की शासनादेश जारी कर ये साफ कर दिया था कि ग्राम पंचायतें केवल 13 कंपनियों की ही लाइटें गांव में लगवा सकेंगी। शासनादेश में स्पष्ट रूप से इन कंपनियों के नाम दिए गए थे। इसमें बजाज, सिस्का, क्रॉम्पटन, ओरिंएंट, विप्रो, फिलिप्स, हैवेल्स, पैनासोनिक, सूर्या, हैलोनिक्स, एवरेडी, पॉलीकेब और एचपीएल को शामिल किया गया था।
वर्जन
अमर उजाला में प्रकाशित खबर के आधार पर मुख्य विकास अधिकारी ने जांच के आदेश दिए थे। जांच रिपोर्ट में लाइटों में फर्जीवाड़ा साबित हुआ है। प्रधान को जिला मजिस्ट्रेट की ओर से व सचिव को मेरे द्वारा नोटिस भेजा गया है। 15 दिन में जवाब लेने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
– अविनाश चंद्र, डीपीआरओ।
मैनपुरी। विकास खंड किशनी की ग्राम पंचायत कमलनेर में प्रधान और सचिव ने मिलकर लाइटों के नाम पर फर्जीवाड़ा किया था। ये बात अब जांच रिपोर्ट में भी साबित हो गई है। अमर उजाला ने इस पूरे फर्जीवाड़े को उजागर किया था। इसके बाद मुख्य विकास अधिकारी विनोद कुमार ने जांच के आदेश दिए थे।
ग्राम पंचायतों में एक साल पहले शासन ने लाइटें लगाने पर लगी रोक को हटा दिया था। इसके बाद जिले की दर्जनों ग्राम पंचायतों में प्रधान और सचिवों ने लाइटें लगवाईं। लेकिन शासन द्वारा जारी आदेश को ताक पर रख दिया। दरअसल शासन ने कुल 13 नामी कंपनियों से ही लाइटें खरीदने के स्पष्ट आदेश दिए थे। लेकिन ग्राम पंचायतों ने अपनी जेबें भरने के लिए नियमों को ताक पर रख दिया। विकास खंड किशनी की ग्राम पंचायत कमलनेर में ग्राम प्रधान अल्का पाल और पंचायत सचिव योगेंद्र यादव ने नियम विरुद्ध जाकर अमानक लाइटें लगवाईं। ग्राम पंचायत में सन लाइट नाम की कंपनी की लाइटें लगी हुई हैं। यहां लगभग तीन लाख रुपये का भुगतान कर सरकारी धनराशि का बंदरबांट किया गया। अमर उजाला ने 11 सितंबर के अंक में इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद सीडीओ विनोद कुमार ने जांच के आदेश दिए थे। सहायक जिला पंचायत राज अधिकारी रोहित कुमार ने तीन एडीओ पंचायत के सहयोग से जांच की। जांच में ये साबित हुई कि लाइटें निर्धारित कंपनी से इतर लगवाई गई थीं, जो उचित नहीं है। इसके साथ दस लाइटों का लगभग 38 हजार रुपये फर्जी भुगतान भी किया गया। जांच रिपोर्ट आने के बाद डीपीआरओ अविनाश चंद्र ने पंचायत सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। पंचायत सचिव को 15 दिन का समय जवाब देने के लिए दिया गया है। जवाब आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
प्रधान को भी जिला मजिस्ट्रेट ने जारी किया नोटिस
कमलनेर की ग्राम प्रधान अल्का पाल को भी जांच रिपोर्ट आने के बाद जिला मजिस्ट्रेट अविनाश कृष्ण सिंह ने पंचायती राज अधिनियम के तहत नोटिस जारी किया गया। उन्होंने 15 दिन में साक्ष्य सहित जवाब प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। 15 दिन में जवाब न देने पर ये मानते हुए कि ग्राम प्रधान को अपने पक्ष में कुछ नहीं कहना है, कार्रवाई की जाएगी।
इन कंपनियों की लाइटें की गई थीं अनुमन्य
शासन ने बीते वर्ष की शासनादेश जारी कर ये साफ कर दिया था कि ग्राम पंचायतें केवल 13 कंपनियों की ही लाइटें गांव में लगवा सकेंगी। शासनादेश में स्पष्ट रूप से इन कंपनियों के नाम दिए गए थे। इसमें बजाज, सिस्का, क्रॉम्पटन, ओरिंएंट, विप्रो, फिलिप्स, हैवेल्स, पैनासोनिक, सूर्या, हैलोनिक्स, एवरेडी, पॉलीकेब और एचपीएल को शामिल किया गया था।
वर्जन
अमर उजाला में प्रकाशित खबर के आधार पर मुख्य विकास अधिकारी ने जांच के आदेश दिए थे। जांच रिपोर्ट में लाइटों में फर्जीवाड़ा साबित हुआ है। प्रधान को जिला मजिस्ट्रेट की ओर से व सचिव को मेरे द्वारा नोटिस भेजा गया है। 15 दिन में जवाब लेने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
– अविनाश चंद्र, डीपीआरओ।
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