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समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का आज सुबह निधन हो गया है। वह 81 साल के थे। वे बीते कुछ दिनों से गुरुग्राम स्थित मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती थे। मुलायम सिंह के इरादे भले ही फौलादी थे, लेकिन उनका मन अपने नाम की तरह ही मुलायम था। राजनीति के धुर विरोधियों को भी उन्होंने संसद पहुंचाया। यही कारण है कि उनका हर दल के नेता सम्मान करते थे।
विरोधियों को भी पहुंचाया संसद
इटावा की राजनीति में मुलायम सिंह यादव के धुर विरोधी रहे कांग्रेस नेता बलराम सिंह यादव वर्ष 1984 में मैनपुरी से कांग्रेस की टिकट पर सांसद बने। उसके बाद वह लोकसभा में नहीं पहुंच सके। कांग्रेस के प्रभावशाली नेता रहे बलराम सिंह यादव को अपने राजनीतिक कैरियर को बचाने के लिए सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का नेतृत्व स्वीकार करना पड़ा। बलराम सिंह यादव के सपा में शामिल होने के बाद वर्ष 1998 में पहली बार सपा की टिकट पर चुनाव जिताकर संसद भेजा। वर्ष 1999 में हुए उप चुनाव में दूसरी बार भी बलराम सिंह यादव सपा की टिकट पर ही संसद पहुंचे।
इटावा में जसवंतनगर विधानसभा सीट से मुलायम सिंह यादव के सामने चुनाव लड़ने वाले दर्शन सिंह यादव अपने राजनीतिक कैरियर में कभी विधानसभा नहीं पहुंच सके।
दर्शन सिंह यादव ने कांग्रेस के साथ ही भाजपा में भी शामिल होकर राजनीतिक कैरियर को बचाने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली।
बाद में दर्शन सिंह यादव को नेताजी का नेतृत्व स्वीकार करना ही पड़ा। सपा में शामिल होने के बाद दर्शन सिंह यादव को नेताजी ने राज्यसभा में भेजा।
देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचने वाले नेताजी के धुर विरोधी रहे दोनों नेता सपा में शामिल होने के बाद सार्वजनिक मंचों से कहते भी थे कि नेताजी दिल से भी मुलायम हैं। पूरी शिद्दत से दुश्मनी और दोस्ती दोनों ही निभाते हैं।
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