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फर्जी इंस्पेक्टर ने वैन को रोकने के बाद चालक को चेकिंग कराने को कहा। तभी रिदान को खींचकर अपनी कार में डाल लिया। तीन लोग और एक महिला बच्चे को लेकर चली गईं। वैन चालक को शक हो गया। उसने शोर मचा दिया। इस पर आसपास के ग्रामीण आ गए। उन्होंने दूसरी कार से आए वर्दी पहने विवेक और गौरव को घेर लिया। सूचना पर यूपी 112 की पुलिस पहुंच गई। बालक के अपहरण की सूचना पर पुलिस ने घेराबंदी की।
फिरोजाबाद के शिकोहाबाद रेलवे स्टेशन के पास से रिदान को कार रोककर महिला के साथ सकुशल बरामद कर लिया गया। बच्चे को उसकी मां के सुपुर्द कर दिया गया है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ अपहरण, धोखाधड़ी, मारपीट सहित अन्य धारा में मुकदमा दर्ज किया है। सभी को जेल भेज दिया। पकड़े गए आरोपियों में बच्चे का पिता गौरव, दादी वंदना और पिता का दोस्त विवेक त्रिपाठी हैं। विनीता के परिजन ने बताया कि छह महीने पहले भी गौरव ने घर से बेटे को अगवा करने का प्रयास किया था। तब घर में कोई नहीं था। वह घर आया था। बेटे को उठाकर ले जाने लगा था। ग्रामीणों के जुटने पर भाग गया था। तब पुलिस से शिकायत नहीं की थी।
सीओ पिनाहट अमरदीप पाल ने बताया कि कार में बच्चे का पिता गौरव सिकरवार आया था। उसके साथ दोस्त विवेक त्रिपाठी भी था। विवेक कानपुर नगर के थाना रानतपुर स्थित इंद्रा नगर का रहने वाला है। गौरव की मां वंदना सिंह भी साथ आई थीं। गौरव ने पूछताछ में बताया कि वह बेटे को अपने पास लेकर जाना चाहता था। पत्नी तैयार नहीं होती। इसलिए उसे रास्ते से ले जाने की योजना बनाई। उसने अपने दोस्त विवेक को पुलिस की वर्दी पहनाई थी। उसके साथ परिचित मोहित, भूरी और कर्मवीर को साथ लेकर अपहरण करने आए थे। मां वंदना के साथ बेटे को भेज दिया था। मगर, लोग जुट गए। वह पकड़े गए। मां को बाद में पुलिस ने पकड़ लिया।
वर्दी इंस्पेक्टर की, बोल रहा था सीओ हूं
विवेक और गौरव का कोई आपराधिक इतिहास नहीं मिला है। दोनों दोस्त हैं। कक्षा आठ से साथ ही पढ़ाई की थी। दोनों ने कानपुर से बीटेक किया। वर्तमान में दोनों नोएडा की एचसीएल कंपनी में इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। पूछताछ में बताया कि छीपीटोला से दस हजार रुपये में दो वर्दी खरीदकर लाए थे। एक वर्दी गाड़ी में रखी थी, जिस पर दो सितारे लगाए थे। दूसरी पर तीन सितारे थे। इन पर नेम प्लेट भी लगा ली थी। वर्दी खरीदने के लिए कोई आईडी नहीं देखी गई। विवेक रिवॉल्वर भी लेकर आया था। उसने बताया कि पुलिस को देखकर वैन चालक विरोध नहीं करता। इसलिए वह पुलिस बनकर आया था। मौके पर कुछ लोगों ने उससे पूछा कि वर्दी किसकी है तो वह सीओ की बताने लगा, जबकि वर्दी इंस्पेक्टर की थी।
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