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मंगलवार रात को चार मरीज हॉस्पिटल में भर्ती थे। बुधवार तड़के 4:45 बजे वह जागे थे। गोपीचंद ने बताया कि घर के दरवाजे के बगल में दुकान बनी हुई है। इसमें वह अपनी जूते मटेरियल की दुकान का सामान फोम आदि रखते थे। दुकान में ही एक डक्ट बनी है। इससे दुकान के अंदर लगी आग नजर आ रही थी। इस पर गोपीचंद ने शोर मचा दिया।
गोपीचंद को पता चला कि घर के अंदर नाती ऋषि और नातनी सिमरन उर्फ शालू भी फंसी हुई है। बहू राजरानी बेसमेंट की सीढ़ियों से बाहर आ गई थी। इस पर उन्होंने बेटे राजन को बच्चों के बारे में बताया। यह सुनकर राजन बच्चों को घर से निकालने के लिए अंदर दौड़ पड़े। उस समय घर के अंदर धुआं भरा हुआ था। दोनों बच्चे कमरे में सो रहे थे।
राजन उन तक पहुंच पाते इससे पहले ही दम घुटने से बीच में गिर पड़े। कुछ देर बाद बाहर खड़े लोग पहुंचे। वही गोपीचंद भी बगल के होटल की छत से अपने घर की छत से होते हुए अंदर गए। राजन फर्श पर पड़े हुए थे। उन्हें दो लोगों की मदद से किसी तरह बाहर निकाल कर लाए। बाद में ऋषि और शालू को बाहर निकाला गया। तीनों को अस्पताल ले गए, जहां उनकी मौत हो गई। वहीं राजन का बेटा लवी और पत्नी राजरानी की भी हालत गंभीर है। उन्हें भी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
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