Wednesday, January 8, 2025
Home Agra Family Members Left The Elderly In The Old Age Home After After The Pitru Paksha In Agra – रुला देगी इन बुजुर्गों की कहानी: पितृ पक्ष में मां-बाप को घर ले गए बेटे, फिर वृद्धाश्रम में छोड़ा

Family Members Left The Elderly In The Old Age Home After After The Pitru Paksha In Agra – रुला देगी इन बुजुर्गों की कहानी: पितृ पक्ष में मां-बाप को घर ले गए बेटे, फिर वृद्धाश्रम में छोड़ा

by amitsagar
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मेरी आंखों का तारा ही मुझे आंखें दिखाता है, जिसे हर खुशी दे दी, वो हर गम से मिलाता है। जुबां से कुछ कहूं, कैसे कहूं, किससे कहूं मां हूं, सिखाया बोलना जिसको, वो चुप रहना सिखाता है। कवि दिनेश रघुवंशी की इस कविता में आगरा के रामलाल वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों का दर्द छलकता है। पितृ पक्ष में पुरखों का श्राद्ध करना था, तो इन बुजुर्गों की याद भी अपनों को आई। कोई मां को घर ले गया तो कोई पिता को। वृद्धाश्रम के अध्यक्ष शिव प्रसाद शर्मा ने बताया कि अपने घर जाने से बुजुर्गों की आंखों में चमक दिखी लेकिन श्राद्ध बीतने के बाद अपने फिर अकेला रहने को वृद्धाश्रम में छोड़ गए। उनकी आंखों में चमक की जगह अब आंसू हैं। 

पितृ पक्ष में आई अपनों की याद 

कुछ लोगों को पितृ पक्ष में अपनों की याद आ गई। मुन्नी देवी, हरीशंकर, नीलम गुप्ता, शारदा देवी को उनके घरवाले ले गए। आश्रम के अध्यक्ष ने बताया कि घरवालों को देखकर इन बुजुर्गों के जैसे सारे दुखों को अंत हो जाता है। ये अपने साथ किए गए व्यवहार को भी भूल जाते हैं। 

पुरखों के श्राद्ध के बाद आश्रम भेजा

ऐसी ही कहानी फर्रुखाबाद के 73 वर्षीय अनिल कुमार की है। उन्होंने बताया कि वह आश्रम में पिछले छह महीने से रह रहे हैं। घर वालों को याद नहीं आई। श्राद्ध पक्ष में बेटे चाहते थे कि मैं घर पर रहूं इसलिए घर ले गए। पुरखों के श्राद्ध होने के बाद बेटों ने फिर मुझे आश्रम में जाने के लिए कह दिया। 

 

पिता का श्राद्ध याद, जीवित मां को भूले

इटावा की 75 वर्षीय पुष्पलता ने बताया कि उनके तीन बेटे हैं। पति की मौत हो चुकी है। बेटे अपने साथ रखना नहीं चाहते हैं। पितृ पक्ष में पति का श्राद्ध बेटों को याद था लेकिन उन्होंने अपनी मां को जीते जी मार दिया। पुरानी सारी बात भूलकर घर गई थी। श्राद्ध के बाद फिर यहीं आ गई। अब घर की याद ज्यादा आ रही है।

पिता के श्राद्ध पर बेटा ले गया घर

दिल्ली की रहने वाली 62 वर्षीय एकता का कहना है कि चार दिन पहले बेटा मुझे लेने के लिए आया। उसके आने की खबर से ही खुश हो गई। उसके पिता का श्राद्ध था तो वह चाहता था कि उस दिन मैं वहा मौजूद रहूं। घर पहुंचकर सुकून मिला लेकिन यह मेरे लिए कुछ समय ही रहा। श्राद्ध के बाद वह मुझे फिर आश्रम छोड़ गया।

पितृ पक्ष में सात से आठ बुजुर्ग आश्रम में आएं

रामलाल वृद्धाश्रम के अध्यक्ष ने बताया कि पितृ पक्ष में सात से आठ बुजुर्ग आश्रम में आए हैं। यहां आने वाले बुजुर्गों में कुछ ऐसे हैं जो अपनों के व्यवहार से परेशान होकर आए हैं। वहीं कुछ को अपने बेटे ही यहां छोड़कर गए हैं।

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