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मृतक राजाराम के पिता और भाई
– फोटो : अमर उजाला
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एटा में फर्नीचर कारीगर राजाराम को लुटेरा बताकर पुलिसकर्मियों ने उनकी हत्या कर दी थी। इस फर्जी मुठभेड़ की घटना को यूं तो 16 साल से भी ज्यादा वक्त हो गया, लेकिन वो दिन यादकर आज भी मृतक के परिजन सिहर जाते हैं। न्याय की आस में साल दर साल बीत गए। मंगलवार को जब गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने नौ पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया। इसकी खबर मिलते ही मृतक के पिता और भाई के आंसू छलक आए। पिता ने कहा कि पुलिसवालों ने मेरे बेकसूर बेटे को मार डाला। उन्होंने दोषियों पुलिसकर्मियों को भक्षक बताते हुए फांसी की सजा दिए जाने की मांग की।
राजाराम के छोटे भाई अशोक शर्मा उस समय 14 साल के ही थे। बताते हैं कि हम तीनों भाई और भाभी गांव पहलोई जा रहे थे। भैया राजाराम पीपल अड्डा पर फर्नीचर की दुकान करते थे। दुकान बंद करने के बाद शाम को आए थे। जिसकी वजह से देर हो गई और कोई वाहन नहीं मिल पाया। सभी लोग पैदल जा रहे थे। रास्ते में एक मोटरसाइकिल पर दो पुलिसकर्मी मिले। बाद में पुलिस की एक गाड़ी आ गई और भैया को बैठाकर ले गए।
अखबार में छपी फोटो से की थी पहचान
पुलिसकर्मियों ने बताया कि थाने पर ले जा रहे हैं, फर्नीचर के बारे में कुछ जानकारी लेनी है। रात करीब आठ बजे की बात है। बाद में परिवार के लोग थाना सिढ़पुरा पहुंचे। वहां भैया नहीं थे। बताया कि सुबह घर पहुंचा देंगे। सुबह पता करने गए तो बताया कि उन्हें तो छोड़ दिया था। इसके बाद हम लोग भैया को तलाशते रहे। करीब दस दिन बाद सूचना मिली कि पुलिस ने अज्ञात लुटेरे का एनकाउंटर किया है। अखबार में छपी फोटो से हमने भैया को पहचाना। इसके बाद से न्याय के लिए लंबा संघर्ष किया है।
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