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रविवार को दोपहर जिस समय शहीद का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा। इस पर जनसैलाब उमड़ पड़ा। पास-पड़ोस के मकानों की छतों के अलावा लोग दीवारों सहित पेड़ों पर चढ़ गए। इस दौरान मोबाइल से वीडियो बना रहे थे। पुलिस द्वारा अंत्येष्टी स्थल पर तो बेरीकेडिंग की गई थी। उसको भी जनसैलाब ने हटा दिया। पुलिस भीड़ को लगातार नियंत्रित करने की कोशिश कर रही थी।
रविवार को शहीद का पार्थिव शरीर गांव आया। जहां सुरक्षा की दृष्टि से अलीगंज सर्किल का पुलिस फोर्स तैनात रहा। शहीद के घर के गेट पर देखरेख के लिए नयागांव थानाध्यक्ष सुनील श्रीवास्तव को जिम्मेदारी दी गई थी। इसी तरह सभी को अलग-अलग जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन द्वारा सौंपी गई थी।
आठ दिसंबर को शहीद भूपेंद्र सिंह की चचेरी साली की शादी थी। भूपेंद्र ने छुट्टी बढ़ाने के लिए आवेदन किया, लेकिन नहीं बढ़ सकी और वह सात दिसंबर को चले गए। उनकी शहादत के बाद लोग कह रहे हैं कि छुट्टी बढ़ जाती तो शायद भूपेंद्र की जान बच जाती।
शहीद भूपेंद्र के रिश्ते में राजा का रामपुर निवासी साढू सौरभ ने बताया उनकी ससुराल में साली गार्गी की शादी आठ दिसंबर को थी। इस पर शहीद ने छुट्टी के लिए आवेदन किया लेकिन उसकी छुट्टी नहीं बढ़ी थी। इस पर वह सात दिसंबर को ड्यूटी पर चले गए थे। आठ दिसंबर को शहीद की पत्नी शादी में गई थी। शुक्रवार को जब दुघर्टना की सूचना आई उस समय वह अपने मायके में थी।
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