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डाक्टर
– फोटो : Amar Ujala
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एटा में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलें। इसके लिए शासन द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रहीं हैं, लेकिन हकीकत यह है कि जिले की आठों सीएचसी पर विशेषज्ञों सहित सामान्य चिकित्सकों की भी कमी है। इसके चलते लोगों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। जिले में 148 चिकित्सकों के सापेक्ष सीएमओ सहित 42 चिकित्सक ही तैनात हैं।
जिले में आठ सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) संचालित हैं। जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में मरीजों को इलाज के लिए पहुंचना होता है, लेकिन सीएचसी पर चिकित्सकों की कमी है। मरीजों को वहां समुचित इलाज नहीं मिल रहा है। सीएचसी पर सिर्फ बुखार की दवा के रूप में मरीजों को पैरासीटामॉल टेबलेट दे दी जाती हैं। वहीं बच्चों को इलाज नहीं मिल पा रहा है।
इसका कारण है कि सीएचसी पर बाल रोग विशेषज्ञ ही नहीं हैं। अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों की भी कमी है। अकेले जलेसर सीएचसी पर महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ चिकित्सक की तैनाती है। इसके अलावा किसी भी सीएचसी पर नहीं हैं। वहां पहुंचने वाली महिलाओं को इलाज नहीं मिल पाता है। इसके साथ ही कहीं भी अस्थि रोग विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। मरीजों को इलाज के लिए मुख्यालय की दौड़ लगानी पड़ रही है।
तीन अनुपस्थित व तीन कर रहे पीजी
जिले में चिकित्सकों की स्थिति यह है कि यहां सीएमओ, तीन एसीएमओ, एक डिप्टी सीएमओ सहित कुल 42 चिकित्सक तैनात हैं। इनमें से तीन चिकित्सक काफी लंबे समय से अनुपस्थित चल रहे हैं। वहीं तीन पीजी करने चले गए हैं। ऐसे में कुल 31 चिकित्सक ही मरीजों को देख रहे हैं।
सीएमओ डॉ. उमेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि जिले में चिकित्सकों का अभाव है। शासन से चिकित्सकों की कई बार मांग की गई है जो चिकित्सक तैनात हैं उन्हीं के माध्यम से बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का प्रयास जारी है।
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