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डाॅ. आरएस पारीक
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
दुनिया के 30 देशों में होम्योपैथी पर 100 से ज्यादा शोधपत्र प्रस्तुत कर चुके प्रख्यात चिकित्सक डाॅ. आरएस पारीक को पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर की। डाॅ. डीके हाजरा के बाद वह आगरा के दूसरे चिकित्सक हैं जिन्हें यह सम्मान दिया गया है। हर साल 14 देशों के होम्योपैथिक चिकित्सक उनके पास चिकित्सा के गुर सीखने के लिए आते हैं। पद्मश्री की घोषणा के बाद डॉ. पारीक ने कहा कि मानव सेवा ही उनके लिए सबसे बड़ा धर्म है।
आगरा के वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ. आएस पारीक का जन्म राजस्थान के नवलगढ़ में 25 मार्च 1933 में हुआ था। वह 1956 में लंदन के रॉयल लंदन होम्योपैथी हॉस्पिटल में पढ़ाई के लिए गए थे। 1965 से लेकर अब तक वह 30 देशों में 100 से ज्यादा शोधपत्र होम्योपैथी पर प्रस्तुत कर चुके हैं, जिनमें कैंसर और आपातकाल में होम्योपैथी की दवाओं के इस्तेमाल पर उनका शोध प्रमुख है।
देश के प्रमुख राजनेता, न्यायाधीश, उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियों के साथ आम लोग भी उनके मरीजों में शामिल हैं। होम्योपैथी को उन्होंने जनजन तक पहुंचाया है। वह अमेरिका से प्रकाशित द होम्योपैथी फिजिशियन जर्नल के संपादकीय मंडल के सदस्य हैं। वह हर माह के दूसरे और चौथे बृहस्पतिवार को वृंदावन और राधाकुंड क्षेत्र में रहने वाले लोगों को निशुल्क चिकित्सा एवं परामर्श देते हैं। इसका प्रेरणा स्रोत वह अपने आध्यात्मिक गुरु गया प्रसाद को मानते हैं।
गोसेवा और सामाजिक कार्यों में आगे हैं डाॅ. पारीक
डाॅ. पारीक को पद्मश्री से नवाजे जाने की घोषणा से शहर के चिकित्सा जगत में हर्ष है। रात में ही उनके पास बधाइयों का तांता लग गया। उनकी पत्नी गीता रानी ने उन्हें सबसे पहले बधाई दी। डाॅ. आरएस पारीक प्रमुख समाजसेवी होने के साथ गोसेवक भी हैं। उनकी तीन पुत्रियां और दो पुत्र डाॅ. आलोक पारीक और डाॅ. राजू पारीक हैं। डाॅ. आलोक पारीक इंटरनेशनल होम्योपैथी संघ के पहले भारतीय अध्यक्ष बने, जबकि डाॅ. राजू पारीक सर्जन हैं। तीसरी पीढ़ी में पौत्र डाॅ. प्रशांत एवं प्रियंका पारीक एवं डाॅ. आदित्य एवं नितिका पारीक भी चिकित्सक हैं।
ये मिल चुके हैं पुरस्कार
बेहद सरल, सहज डॉ. पारीक को जर्मनी में हैनीमैन अवार्ड, रूस में कोरास्को मेडल, आगरा विवि से डॉक्टरेट की मानद उपाधि, स्विट्जरलैंड में क्लीनिक सांताक्रूस अवार्ड समेत दुनियाभर से सम्मानपत्र दिए गए हैं। 70 साल की प्रैक्टिस के दौरान उन्होंने लाखों मरीजों का होम्योपैथी के जरिए इलाज किया है।
परमपिता का आशीर्वाद
डाॅ. आरएस पारीक ने कहा कि सतत रूप से मानव सेवा को ही अपना धर्म समझ कर मैं यह कार्य कर रहा था। सरकार द्वारा मुझे यह सम्मान दिए जाने को मैं परमपिता का आशीर्वाद मानता हूं।
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