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सर्वेश
– फोटो : अमर उजाला
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फिरोजाबाद में आयुष्मान भारत योजना से सर्वेश सिंह को नई जिंदगी मिली। चार साल से सिर की हड्डी को पेट में रखकर सर्वेश दर्द भरा जीवन जीता रहा। जब आयुष्मान कार्ड मिला तो सिर का ऑपरेशन और पेट का एक साथ ऑपरेशन हुआ। अब सर्वेश पूरी तरह स्वस्थ्य है। ऐसा जटिल ऑपरेशन जिले में पहली बार आयुष्मान योजना के अंतर्गत संभव हो सका है।
मैनपुरी जिले के घिरोर निवासी सर्वेश सिंह का वर्ष 2018 में एक्सीडेंट हो गया था। इससे सर्वेश के सिर में गहरी चोट आईं थी। उसे प्राइवेट ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था। दिगाम में अत्यधिक सूजन आ जाने के कारण ऑपरेशन करते समय सर्वेश की सिर की हड्डी को पेट में रखा गया, ताकि हड्डी खराब न हो और तीन माह बाद ऑपरेशन के माध्यम से पेट से हटाकर फिर से सिर में जोड़ी जानी थी। मगर, सर्वेश घर का मुखिया था, तो ऑपरेशन के लिए धन नहीं जोड़ सका।
हर रोज सहा दर्द
सर्वेश हर रोज पेट में रखी हड्डी और सिर के दर्द को सहता रहा। जब परेशानी बढ़ गई तो परिजन प्राइवेट ट्रामा सेंटर में न्यूरोसर्जन डॉ. निमित गुप्ता के पास उसे लाए। यहां डॉ. निमित ने मरीज का आयुष्मान सूची में नाम चेक कराकर गोल्डन कार्ड बनवाया। इसके बाद न्यूरोसर्जन डॉ. निमित गुप्ता ने सफल ऑपरेशन किया और पेट से हड्डी निकालकर पुन: सिर में लगाया। अब सर्वेश पूरी तरह स्वस्थ्य है। मरीज सर्वेश की सास कृष्णा रानी ने बताया कि गरीब तबके से होने के कारण सर्वेश चार साल दर्द सहता रहा। आयुष्मान ने जीवनदान दिया है।
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दूसरे चरण का हुआ ऑपरेशन: डॉ. निमित
न्यूरोसर्जन डॉ. निमित गुप्ता ने बताया कि सर्वेश का दूसरे चरण का ऑपरेशन तीन माह बाद ही होना था। पहला ऑपरेशन चार साल पहले हुआ था। सिर की हड्डी (स्किन बोन) पेट में रखी थी। सिर में हड्डी न होने से चोट का खतरा, सिरदर्द, पेट दर्द करवट न ले पाना सहित अन्य समस्याएं रहती हैं। एक समय में पेट और दिमाग का ऑपरेशन एक साथ होता है। यह जटिल ऑपरेशन है।
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