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आगरा के थाना सदर क्षेत्र के इंद्रापुरम स्थित पब्लिक वेलफेयर हॉस्पिटल के डॉ. खालिद खान और डॉ. कहकशां खान की मुश्किलें बढ़ गई हैं। नवजात की मौत के मामले में डॉक्टर दंपती के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। शनिवार को सत्र न्यायालय में आरोपी डॉक्टर दंपती का अग्रिम जमानत प्रार्थनापत्र निरस्त कर दिया गया।
बरौली अहीर निवासी रोहताश यादव दंत चिकित्सक हैं। उनकी पत्नी अनुपम यादव ने एडीजी जोन कार्यालय में प्रार्थनापत्र दिया था। कहा कि वह गर्भवती थीं। 30 सितंबर 2017 को अपनी डॉक्टर नहीं होने से चेकअप के लिए पब्लिक वेलफेयर हॉस्पिटल में गईं। जांच के बाद डॉ. कहकशां खान ने गर्भस्थ शिशु को सही बताया। नार्मल डिलीवरी के लिए प्रयास करने की बात कही। मगर, उन्हें प्रसव पीड़ा नहीं थी। इस पर वो एक अक्तूबर को दोबारा दिखाने गईं।
आरोप है कि डॉ. कहकशां ने देखने के बहाने जैली लगा दी, जिससे दर्द शुरू हो गया। अल्ट्रासाउंड के मुताबिक डिलीवरी की तारीख दस अक्टूबर थी। ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन और दवाएं मंगा लीं। अप्रशिक्षित नर्स रोमा के भरोसे छोड़ दिया। उसने ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगा दिया, जिससे जन्म पर शिशु की हालत गंभीर थी, उसे बिना एनआईसीयू के रखा गया। दूसरे नर्सिंग होम में रेफर कर दिया, जहां शिशु की मृत्यु हो गई।
21 महीने बाद दर्ज हुआ था मुकदमा
21 महीने 20 दिन बाद जुलाई 2019 में मुकदमा दर्ज किया गया। 3 अप्रैल 2021 को थाना सदर पुलिस ने मुकदमे में आरोपपत्र दाखिल किया। गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ। इसमें डॉ. खालिद खान, डॉ. कहकशां खान और नर्स रोमा को गैर इरादतन हत्या, गर्भपात और जान से मारने की धमकी में आरोपी बनाया गया। डॉ. खालिद खान और कहकशां खान ने हाईकोर्ट से स्टे ले लिया। कोर्ट में मुकदमा विचाराधीन है। डॉक्टर दंपती ने अग्रिम जमानत के लिए सत्र न्यायालय में प्रार्थनापत्र दिया। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी बसंत गुप्ता ने दलील दीं। जांच रिपोर्ट का हवाला दिया। अग्रिम जमानत का विरोध किया। कोर्ट ने अग्रिम जमानत प्रार्थनापत्र निरस्त कर दिया।
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