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चांदी की मां लक्ष्मी की मूर्ति।
– फोटो : ANI
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दिवाली का त्योहार 24 अक्तूबर को मनाया जाएगा। क्योंकि लक्ष्मीजी का पूजन प्रदोष काल में होता है। इसके कारण 24 अक्तूबर को प्रदोषकाल है। नरक चतुर्दशी 24 अक्तूबर को सुबह 4.46 बजे से सुबह 6.22 बजे तक रहेगी। इस दिन सूर्योदय से पूर्व चंद्रमा की चांदनी में स्नान करने का विधान है।
ज्योतिषाचार्य राजीव लोचनाचार्य ने बताया प्रदोष व्यापिनी कार्तिक अमावस्या के दिन दीपावली पर्व मनाया जाता है। अत: इस दिन प्रदोष काल में श्री महालक्ष्मी पूजन होता है। इस वर्ष अमावस्या तिथि 24 और 25 अक्तूबर को दो दिन विद्यमान है। 25 अक्तूबर को यह अमावस्या प्रदोष काल के आरंभ से पूर्व ही समाप्त हो रही है। शास्त्रानुसार 24 अक्टूबर को ही दीपावली महापर्व मनाया जाना चाहिए। दीपावली पूजन का मुहूर्त सायं काल 05:39 से रात्रिकाल 08:47 तक रहेगा।
गोवर्धन पूजा (अन्नकूट) :
पंडित हरिओम शास्त्री ने बताया कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है। प्रतिपदा तिथि 25 अक्तूबर को शाम 04:18 से प्रारंभ होकर 26 को दोपहर 02:14 तक रहेगी। अत: गोवर्धन पूजा का पर्व अगले दिन 26 अक्तूबर को मनाया जाएगा। इस दिन गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त प्रात: काल 06:24 से दोपहर 02:42 तक रहेगा।
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भाईदूज:
पंडित अभय मिश्रा ने बताया कि इस वर्ष 26 और 27 अक्तूबर को दोनों दिन द्वितीया तिथि विद्यमान है। इन दिनों दोपहर 01:11 से 03:24 तक रहेगा। 27 अक्तूबर को द्वितीया अपरान्ह काल के आरंभ से पूर्व ही समाप्त हो रही है और 26 अक्तूबर को यह दोपहर 02:42 से 03:24 तक अपरान्ह काल को व्याप्त कर रही है। यम द्वितीया और भाई दूज पर्व 26 अक्तूबर को मनाया जाएगा। इस दिन अपरान्ह काल में यम पूजन किया जाता है।
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