[ad_1]
आतिशबाजी
– फोटो : Demo Pic
ख़बर सुनें
ताजमहल के शहर आगरा में दिवाली धूमधाम से मनाई गई। सोमवार को उल्लास के पर्व दीपोत्सव का रंग शाम होते ही नजर आने लगा। सूर्य के ओझल होते ही रात के अंधेरे ने जमीं को अपने आगोश में लेना चाहा, लेकिन उसी समय घर-घर में जले दीप और टिमटिमाती झालरों ने अंधकार को परास्त कर दिया। ये अद्भुत नजारा ऐसा था कि मानो आसमान के सारे तारे उतर आए हैं। शाम को प्रदोष काल शुरू होने के साथ ही परिवार के साथ लोगों ने घरों में मां लक्ष्मी और गणेश जी का आह़वान किया। मां लक्ष्मी के मंत्रों के साथ समृद्धि की कामना की गई। बच्चों व बड़ों ने पटाखे जलाकर खुशियां मनाई और एक-दूसरे को मिठाई खिलाई।
जमकर हुई आतिशबाजी
आगरा में हरित पटाखों को चलाने की अनुमति मिली तो जमकर आतिशबाजी हुई। बंदनवार से सजे घरों में रंगबिरंगी बिजली की झालरों के साथ रंगोली सजाई गई। शाम होते ही घरों और प्रतिष्ठानों में शुभ मुहूर्त में भगवान श्रीगणेश और महालक्ष्मी का पूजन किया गया। महालक्ष्मी के स्वागत के लिए पूरा शहर दुल्हन की तरह सज-धजकर तैयार नजर आया। शहर के गली-मोहल्ले, कॉलोनी, बाजार, शोरूम सतरंगी रोशनी से जगमग दिखे। हर कोना फूलों से महका। लोगों ने पूजा कर मां लक्ष्मी और गणेश भगवान से सुख-समृद्धि की कामना की।
दिवाली की ये है मान्यता
त्रेता युग में भगवान राम जब लंकापति रावण का वध कर अयोध्या लौटे तो उनके आगमन पर दीप जलाकर उनका स्वागत किया गया था और खुशियां मनाई गई थीं। इसी कारण प्रति वर्ष इस तिथि (कार्तिक अवामस्या) को दिवाली मनाई जाती है।
सुमन बृष्टि नभ संकुल भवन चले सुखकंद।
चढ़ी अटारिन्ह देखहिं नगर नारि नर बृंद॥
भावार्थ : आनंदकन श्रीरामजी अपने महल को चले, आकाश फूलों की वृष्टि से छा गया, नगर के स्त्री-पुरुषों के समूह अटारियों पर चढ़कर उनके दर्शन कर रहे हैं।
विस्तार
ताजमहल के शहर आगरा में दिवाली धूमधाम से मनाई गई। सोमवार को उल्लास के पर्व दीपोत्सव का रंग शाम होते ही नजर आने लगा। सूर्य के ओझल होते ही रात के अंधेरे ने जमीं को अपने आगोश में लेना चाहा, लेकिन उसी समय घर-घर में जले दीप और टिमटिमाती झालरों ने अंधकार को परास्त कर दिया। ये अद्भुत नजारा ऐसा था कि मानो आसमान के सारे तारे उतर आए हैं। शाम को प्रदोष काल शुरू होने के साथ ही परिवार के साथ लोगों ने घरों में मां लक्ष्मी और गणेश जी का आह़वान किया। मां लक्ष्मी के मंत्रों के साथ समृद्धि की कामना की गई। बच्चों व बड़ों ने पटाखे जलाकर खुशियां मनाई और एक-दूसरे को मिठाई खिलाई।
जमकर हुई आतिशबाजी
आगरा में हरित पटाखों को चलाने की अनुमति मिली तो जमकर आतिशबाजी हुई। बंदनवार से सजे घरों में रंगबिरंगी बिजली की झालरों के साथ रंगोली सजाई गई। शाम होते ही घरों और प्रतिष्ठानों में शुभ मुहूर्त में भगवान श्रीगणेश और महालक्ष्मी का पूजन किया गया। महालक्ष्मी के स्वागत के लिए पूरा शहर दुल्हन की तरह सज-धजकर तैयार नजर आया। शहर के गली-मोहल्ले, कॉलोनी, बाजार, शोरूम सतरंगी रोशनी से जगमग दिखे। हर कोना फूलों से महका। लोगों ने पूजा कर मां लक्ष्मी और गणेश भगवान से सुख-समृद्धि की कामना की।
दिवाली की ये है मान्यता
त्रेता युग में भगवान राम जब लंकापति रावण का वध कर अयोध्या लौटे तो उनके आगमन पर दीप जलाकर उनका स्वागत किया गया था और खुशियां मनाई गई थीं। इसी कारण प्रति वर्ष इस तिथि (कार्तिक अवामस्या) को दिवाली मनाई जाती है।
सुमन बृष्टि नभ संकुल भवन चले सुखकंद।
चढ़ी अटारिन्ह देखहिं नगर नारि नर बृंद॥
भावार्थ : आनंदकन श्रीरामजी अपने महल को चले, आकाश फूलों की वृष्टि से छा गया, नगर के स्त्री-पुरुषों के समूह अटारियों पर चढ़कर उनके दर्शन कर रहे हैं।
[ad_2]
Source link