Monday, January 6, 2025
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Crores Of Rupees Spent In The Name Of Smart Class In Dr. Bhimrao Ambedkar University Agra – Agra: डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में स्मार्ट क्लास के नाम पर करोड़ों रुपये किए खर्च, फिर नहीं सुधरी दशा

by amitsagar
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डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय
– फोटो : अमर उजाला

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आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में स्मार्ट क्लास के नाम पर 3.5 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर दिए गए, फिर भी इनकी दशा नहीं सुधरी। इनके लिए उपकरणों की खरीद के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के तहत बजट भी मिल गया। इसमें खेल करते हुए 68 स्मार्ट क्लास तैयार होकर पूरा भुगतान दिखा दिया है। एसटीएफ ने इनके बिल और भुगतान की भी जानकारी की है।

विश्वविद्यालय के विभिन्न संकाय में छात्रों को स्तरीय पढ़ाई के लिए 68 स्मार्ट क्लास का प्रस्ताव मंजूर हुआ। इसमें रूसा के तहत दो बार में बजट खर्च किया। पहली किस्त के तौर पर 1,08,50,250 रुपये 2019 और 2020 और 2021 में खर्च दिखाए। इसमें 36,16,750 रुपये तीन बार में भुगतान दिखाए हैं। इसके बाद रिनोवेशन के लिए जुलाई 2021 में 2.5 करोड़ रुपये का खर्च दिखाया है। 

रूसा से मिले बजट का स्मार्ट क्लास के नाम पर बंदरबांट हुआ। प्रो. पाठक के मामले में जांच शुरू होने के बाद एसटीएफ भ्रष्टाचार और धांधली की ऐसी तमाम शिकायतों की जांच कर रही है। एसटीएफ ने इनके बिल, बजट और भुगतान के रिकार्ड जुटाने के साथ भौतिक रूप से सत्यापन भी किया है। इसके प्रभारी से भी पूछताछ की जा चुकी है।

एसटीएफ ने डिजीटेक्स एजेंसी के भुगतान बिल किए जब्त 

विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति रहे प्रो. विनय पाठक के कमीशनखोरी की जांच करने के लिए एजेंसी को किए गए भुगतान के बिल जब्त किए हैं। ये बिल करीब चार करोड़ रुपये के बताए गए हैं। एसटीएफ ने विश्वविद्यालय के अधिकारी और कर्मचारियों से पूछताछ भी की है। 

रविवार को अवकाश के दिन भी विश्वविद्यालय के सात विभाग खोले गए थे। कमीशनखोरी की जांच के लिए दोपहर में एसटीएफ जांच करने के लिए पहुंची। यहां प्रो. पाठक के कार्यकाल (जनवरी से सितंबर) तक परिणाम बनाने वाली डिजीटैक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट कंपनी को किए गए भुगतान के बिल जुटाए हैं। 

एजेंसी को किस तिथि में कितनी धनराशि जारी की, कितने कार्य होने पर धनराशि देनी थी, किस खाते से रुपया स्थानांतरित किया। ऐसी तमाम जानकारी अधिकारियों से की है। इसी एजेंसी पर विश्वविद्यालय की परीक्षा संबंधी संचालन का कार्य है। इसका मालिक डेविड मारियो डेनिस है। इसने ही प्रो. पाठक पर कमीशनखोरी का आरोप लगाते हुए एफआईआर कराई है। इसमें प्रो. पाठक के सहयोग अजय मिश्रा पर अवैध वसूली में सहयोग करता था। 

जांच की जद में आए तो शुरू होने लगे अधूरे काम

विश्वविद्यालय में कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार की एसटीएफ की जांच तेज होते ही अधूरे कार्यों पर ध्यान दिया जाने लगा है। इन्हीं में एक, खंदारी परिसर में सीवर लाइन बिछाने का कार्य एक साल बाद फिर से शुरू हुआ है। 

खंदारी परिसर में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेकभनोलॉजी, दाऊदयाल संस्थान, सेठ पद्मचंद संस्थान, स्कूल ऑफ लाइफ साइंस, इंस्टीट्यूट ऑफ बेसिक साइंस, गृह विज्ञान संस्थान समेत अन्य विभागों के सीवर लाइन को मुख्य सीवर लाइन से जोड़ा जाना था। इसके लिए करीब 70 लाख रुपये का बजट तय हुआ। दो-तीन संकाय के सीवर लाइन बिछाने के बाद कार्य बंद पड़ा था। 

बीते दिनों विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान और विश्वविद्यालय के बजट और सरकारी बजट से हुए विकास कार्य और निर्माण कार्य की जांच शुरू हुई। ऐसे में एक बार फिर सीवर लाइन बिछाने का कार्य शुरू हो गया है। इसके लिए पाइप समेत अन्य सामान भी आ गया। विश्वविद्यालय के इंजीनियर हरीमोहन शर्मा ने बताया कि कार्यदायी संस्था ने बीच में कार्य बंद कर दिया था, अब फिर से शुरू किया है। कार्यदायी संस्था से इसके बारे में रिपोर्ट मांगी है।

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आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में स्मार्ट क्लास के नाम पर 3.5 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर दिए गए, फिर भी इनकी दशा नहीं सुधरी। इनके लिए उपकरणों की खरीद के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के तहत बजट भी मिल गया। इसमें खेल करते हुए 68 स्मार्ट क्लास तैयार होकर पूरा भुगतान दिखा दिया है। एसटीएफ ने इनके बिल और भुगतान की भी जानकारी की है।

विश्वविद्यालय के विभिन्न संकाय में छात्रों को स्तरीय पढ़ाई के लिए 68 स्मार्ट क्लास का प्रस्ताव मंजूर हुआ। इसमें रूसा के तहत दो बार में बजट खर्च किया। पहली किस्त के तौर पर 1,08,50,250 रुपये 2019 और 2020 और 2021 में खर्च दिखाए। इसमें 36,16,750 रुपये तीन बार में भुगतान दिखाए हैं। इसके बाद रिनोवेशन के लिए जुलाई 2021 में 2.5 करोड़ रुपये का खर्च दिखाया है। 

रूसा से मिले बजट का स्मार्ट क्लास के नाम पर बंदरबांट हुआ। प्रो. पाठक के मामले में जांच शुरू होने के बाद एसटीएफ भ्रष्टाचार और धांधली की ऐसी तमाम शिकायतों की जांच कर रही है। एसटीएफ ने इनके बिल, बजट और भुगतान के रिकार्ड जुटाने के साथ भौतिक रूप से सत्यापन भी किया है। इसके प्रभारी से भी पूछताछ की जा चुकी है।



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