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कासगंज। जिलेभर में गोवंशों के बेहतर संरक्षण के दावों के बीच धरातल की स्थिति कुछ अलग ही है। गोशालाओं में लक्ष्य के अनुसार गोवंश संरक्षित हैं, लेकिन उसके बाद भी खेतों में विचरण कर रहे गोवंश किसानों के लिए मुसीबत बन गए हैं। इधर, सरकार नित नई योजना गोवंशों के संरक्षण के लिए बना रही है। हालांकि जिले की गोशालाओं में 4500 गोवंश संरक्षित हैं।
निराश्रित गोवंशों के कारण किसानों को परेशानी हो रही है और गोवंश फसलों की बर्बादी कर रहे हैं। किसानों को दिन रात खेतों की रखवाली करनी पड़ रही है। आए दिन किसान यह समस्या उठा रहे हैं। एक दिन पूर्व रात में किसान गोवंशों को लेकर कलक्ट्रेट पर पहुंचे। इसकी जानकारी मिलने पर गोवंशों को पचलाना की गोशाला में भिजवाया गया। सड़कों पर भी जहां तहां गोवंशों के झुंड दिखाई दे रहे हैं। आए दिन सड़क पर घूमते गोवंश दुर्घटना का कारण भी बन रहे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी का सामना किसानों को करना पड़ रहा है। यदि किसानों की मानें तो हजारों की संख्या में निराश्रित गोवंश जिलेभर में घूम रहे हैं। पर धरातल पर नजर दौड़ाएं तो स्थिति सरकारी आंकड़ों से इतर है।
यह हैं सरकारी व्यवस्थाएं
– 14 हैं जिले में कुल गोशालाएं और आश्रय स्थल।
– 2 हैं निजी गोशालाएं।
– 6 हैं कान्हा गोशाला केंद्र।
– 2 हैं वृहद गोशालाएं।
– 4 हैं अस्थायी आश्रय स्थल।
– 3050 गोवंश हैं गोशालाओं में संरक्षित।
– 910 गोवंश दिए जा चुके हैं पशुपालकों को।
यहां हैं कान्हा केंद्र और गोशालाएं
– गंजडुंडवारा, व कासगंज में नदरई गेट पर हैं निजी गोशालाएं।
– सोरोंजी, अमांपुर, बिलोटी, मोहनपुर, भरगैन, गंजडुंडवारा में हैं कान्हा केंद्र।
– मौसमपुर तवालपुर, नगला भंभा, मंडी समिति और पिथनपुर में है अस्थायी आश्रय स्थल।
– पचलाना और नवादा में हैं दो वृहद गोशालाएं।
जिले में 4500 से अधिक गोवंश गोशालाओं और आश्रय स्थल में संरक्षित हैं। लगातार आश्रय स्थलों की क्षमता बढ़ाई जा रही है। जिससे अधिक से अधिक गोवंश संरक्षित हो सकें। – डॉ. मनोज कुमार अग्रवाल, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।
कासगंज। जिलेभर में गोवंशों के बेहतर संरक्षण के दावों के बीच धरातल की स्थिति कुछ अलग ही है। गोशालाओं में लक्ष्य के अनुसार गोवंश संरक्षित हैं, लेकिन उसके बाद भी खेतों में विचरण कर रहे गोवंश किसानों के लिए मुसीबत बन गए हैं। इधर, सरकार नित नई योजना गोवंशों के संरक्षण के लिए बना रही है। हालांकि जिले की गोशालाओं में 4500 गोवंश संरक्षित हैं।
निराश्रित गोवंशों के कारण किसानों को परेशानी हो रही है और गोवंश फसलों की बर्बादी कर रहे हैं। किसानों को दिन रात खेतों की रखवाली करनी पड़ रही है। आए दिन किसान यह समस्या उठा रहे हैं। एक दिन पूर्व रात में किसान गोवंशों को लेकर कलक्ट्रेट पर पहुंचे। इसकी जानकारी मिलने पर गोवंशों को पचलाना की गोशाला में भिजवाया गया। सड़कों पर भी जहां तहां गोवंशों के झुंड दिखाई दे रहे हैं। आए दिन सड़क पर घूमते गोवंश दुर्घटना का कारण भी बन रहे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी का सामना किसानों को करना पड़ रहा है। यदि किसानों की मानें तो हजारों की संख्या में निराश्रित गोवंश जिलेभर में घूम रहे हैं। पर धरातल पर नजर दौड़ाएं तो स्थिति सरकारी आंकड़ों से इतर है।
यह हैं सरकारी व्यवस्थाएं
– 14 हैं जिले में कुल गोशालाएं और आश्रय स्थल।
– 2 हैं निजी गोशालाएं।
– 6 हैं कान्हा गोशाला केंद्र।
– 2 हैं वृहद गोशालाएं।
– 4 हैं अस्थायी आश्रय स्थल।
– 3050 गोवंश हैं गोशालाओं में संरक्षित।
– 910 गोवंश दिए जा चुके हैं पशुपालकों को।
यहां हैं कान्हा केंद्र और गोशालाएं
– गंजडुंडवारा, व कासगंज में नदरई गेट पर हैं निजी गोशालाएं।
– सोरोंजी, अमांपुर, बिलोटी, मोहनपुर, भरगैन, गंजडुंडवारा में हैं कान्हा केंद्र।
– मौसमपुर तवालपुर, नगला भंभा, मंडी समिति और पिथनपुर में है अस्थायी आश्रय स्थल।
– पचलाना और नवादा में हैं दो वृहद गोशालाएं।
जिले में 4500 से अधिक गोवंश गोशालाओं और आश्रय स्थल में संरक्षित हैं। लगातार आश्रय स्थलों की क्षमता बढ़ाई जा रही है। जिससे अधिक से अधिक गोवंश संरक्षित हो सकें। – डॉ. मनोज कुमार अग्रवाल, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।
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